आम नागरिकों को महंगाई से कुछ राहत देने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठा सकती है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, सरकार जीएसटी के रेट्स में कटौती कर सकती है। ये कटौती चावल, दाल, चाय और बेसन जैसे खाद्य पदार्थों पर लागू होगी। इस कदम से मध्यमवर्गीय और निम्न-मध्यमवर्गीय परिवारों को काफी राहत मिल सकती है।
गौरतलब है कि जीएसटी कलेक्शन अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन सरकार का मानना है कि उसके पास इतनी वित्तीय गुंजाइश है कि वह आम आदमी को रोजमर्रा की कुछ वस्तुओं पर राहत दे सके।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन सालाना आधार पर 6.2% बढ़कर जून 2025 में 1.85 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। पिछले साल जून में ये आंकड़ा 1.73 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, मई 2025 की तुलना में कलेक्शन में गिरावट आई है। मई में जीएसटी कलेक्शन 2.01 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छू गया था।
माना जा रहा है कि सरकार 8-9% तक रेट कट कर सकती है। हालांकि अभी तक मंत्रालय की तरफ से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। कई विपक्षी और यहां तक कि भाजपा शासित राज्यों ने भी सरकार को प्रस्ताव भेजकर जीएसटी रेट्स में कटौती की मांग की है। जुलाई में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होती है। इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। जुलाई में यह बैठक कब होगी, इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।
सूत्रों की मानें तो बैठक में सरकार हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18% जीएसटी को कम करने पर भी विचार कर सकती है। इस मुद्दे पर काउंसिल की बैठक पहले से लंबित है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी इसको लेकर सरकार की धीमी प्रतिक्रिया पर हल्के सुर में आलोचना कर चुके हैं।