इसके बाद ही अदालत में यह याचिका दायर की गई थी कि फिल्म में भगवान शिव का अपमान किया गया है और इससे धार्मिक भावनाएं भड़क सकती हैं। इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी। हालांकि फिल्म के निर्देशक दि्ववेदी ने कहा है कि जारी किया गया ट्रेलर असली नहीं बल्कि नकली है।
उधर, लखनऊ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख छह जुलाई नियत की है। न्यायमूर्ति ए. टण्डन तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। केंद्र सरकार तथा सेंसर बोर्ड के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने अदालत के आदेशानुसार निर्देश प्राप्त करने के लिए संबंधित पक्षों को सूचित कर दिया है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिल सका है लिहाजा इसके लिए थोड़ा समय और दिया जाए। अदालत ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई छह जुलाई को करने का निर्णय लिया।
याचिका में फिल्म को प्रदर्शन का प्रमाणन नहीं दिए जाने तथा यह सुनिश्चित करने के आदेश देने का आग्रह किया गया है कि सेंसर बोर्ड से जरूरी प्रमाणपत्र मिलने तक फिल्म का ट्रेलर किसी भी हालत में सार्वजनिक या सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित ना हो। अदालत ने 26 जून को इस मामले में केंद्र सरकार तथा सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी किए थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म के ट्रेलर को देखने से लगता है कि निर्माता, निर्देशक तथा कलाकारों ने निहायत गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम किया है। फिल्म में धार्मिक नगरी काशी की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तथा भगवान शिव, हिंदू संतों तथा हिंदू महिलाओं की छवि को खराब किया गया है। याचिका में फिल्म के निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी, निर्माता विनय तिवारी तथा अभिनेता सनी देओल एवं अन्य कलाकारों को पक्षकार बनाया गया है।