आज हिन्दी सिनेमा की सफल अभिनेत्री विद्या सिन्हा की जयंती है। विद्या सिन्हा का जन्म 15 नवम्बर सन 1947 को मुम्बई में हुआ था।
फिल्मी परिवार में हुआ जन्म
विद्या सिन्हा हिंदी सिनेमा की विशेष अभिनेत्री रही हैं। उनका हिन्दी फ़िल्मों में अहम योगदान रहा है। विद्या सिन्हा का जन्म मुंबई में हुआ था। उनके पिता राणा प्रताप सिंह फिल्म निर्माता थे। विद्या का पढ़ाई लिखाई में विशेष रुझान नहीं था। 18 वर्ष की उम्र में विद्या सिन्हा ने मिस बॉम्बे का खिताब जीता। इसके बाद वह मॉडलिंग लाइन में आ गईं।
रजनीगंधा बन गई पहचान
विद्या सिन्हा के पिता चूंकि फिल्म निर्माता थे इसलिए उन्हें फिल्मों की दुनिया में अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा। कुछ समय तक मॉडलिंग करने के बाद विद्या सिन्हा को फिल्म निर्देशक बासु चटर्जी ने पहचाना। विद्या सिन्हा ने अभिनेता किरण कुमार के साथ अपनी फिल्म "राजा काका" में काम किया। साल 1974 में निर्देशक बासु चटर्जी ने हिन्दी लेखिका मन्नू भंडारी की कहानी " यही सच है" पर आधारित फिल्म "रजनीगंधा" बनाई। यह फिल्म बेहद कामयाब रही और आजीवन विद्या सिन्हा का परिचय रही। जब भी किसी को विद्या सिन्हा का परिचय देना होता तो फिल्म रजनीगंधा का जिक्र किया जाता था।
ग्लैमर क्वीन बनने की कोशिश में रहीं असफल
साल 1975 में विद्या सिन्हा ने निर्देशक बासु चटर्जी के साथ फिल्म "छोटी सी बात" बनाई। इस फिल्म में भी उनके साथ अमोल पालेकर थे। विद्या सिन्हा ने रजनीगंधा की ही तरह इस फिल्म में सरल,सहज, मासूम भारतीय लड़की का किरदार निभाया। यह फिल्म की बेहद कामयाब रही। विद्या सिन्हा ने अपनी सरल, मासूम, भोली लड़की की छवि से लोगों के दिलों में जगह तो बनाई लेकिन उन्हें यह बात समझ आ गई थी कि यदि हिंदी सिनेमा की मुख्यधारा में टॉप की हीरोइन बनना है तो अपने किरदार में ग्लैमर भी शामिल करना होगा। विद्या सिन्हा ने अपनी कुछ फिल्मों में ग्लैमरस हीरोइन का लुक अपनाने की कोशिश की। लेकिन उनकी इस छवि को लोगों ने स्वीकार नहीं किया। लोगों को भोली, भाली,सीधी, सरल विद्या सिन्हा ही प्रिय थी।
विद्या सिन्हा ने प्रेम विवाह किया
विद्या सिन्हा ने फिल्मों में आने से पहले ही शादी कर ली थी। उनका वेंकटेश अय्यर से प्रेम विवाह हुआ था। इस रिश्ते से उनकी एक बेटी हुई, जिनका नाम रखा गया "जान्हवी"। विद्या सिन्हा एक सुखी परिवारिक जीवन को जी रही थीं कि 1996 में उनके पति की मृत्यु हो गई। विद्या सिन्हा ने इस दुख को किसी तरह बर्दाश्त किया। लेकिन जीवन का अकेलापन उन्हें रह रहकर महसूस होता था।
दूसरी शादी साबित हुई एक डरावना सपना
विद्या सिन्हा ने साल 2001 में दूसरी शादी की। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी जिंदगी में सुकून और खुशियां लौटेंगी। मगर उम्मीद के हिसाब से जिंदगी कहां चलती है।विद्या सिन्हा के दूसरे पति भीमराव सालुंखे लालची इंसान निकले। उन्होंने विद्या सिन्हा से पैसों की डिमांड की। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी तनाव रहा। विद्या सिन्हा के पति ने उनके साथ मारपीट की और यह मामला अदालत तक पहुंचा। विद्या सिन्हा केस जीत गईं और उन्होंने भीमराव सालुंखे को तलाक दे दिया। विद्या सिन्हा के पास जीने की एक ही वजह थी और उसका नाम था "जान्हवी"। अपनी बेटी की परवरिश और देखरेख में विद्या सिन्हा ने कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। विद्या सिन्हा ने फिल्मों और टीवी शोज में काम किया और अपनी बेटी को अच्छा जीवन दिया। विद्या सिन्हा को हमेशा इस बात का अफसोस रहा कि वो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में टॉप की हीरोइन नहीं बन पाईं। लेकिन उन्हें इस बात का हमेशा सुकून रहा कि उन्होंने तमाम मुश्किलों और संघर्षों के बीच अपनी बेटी का लालन पालन अच्छे से किया। उन्होंने अपनी बेटी को इस लायक बनाया कि वह एक खुशहाल जीवन जी सके।