राम मंदिर का मुद्दा फिर गरमा रहा है। ऐसे में अयोध्या पर फिल्म बनाने का यह सबसे मुफीद मौसम है। 6 दिसंबर को बाबरी मस्दिज गिराए जाने को 25 साल हो जाएंगे। सुनील सिंह ने इसी घटना की पृष्ठभूमि में एक प्रेमकथा रची है, गेम ऑफ अयोध्या। यह फिल्म 8 दिसंबर को सिनेमाघरों में आने वाली है।
रिवर्स लव जेहाद यानी हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी तब पनपती है जब उत्तर प्रदेश में इन दोनों समुदायों में नफरत का माहौल था। लेकिन ट्रेलर देख कर लग रहा है कि प्रेम के साथ-साथ फिल्म में राजनीति की फसल भी खूब लहलहाई है। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह के ओरिजनल फुटेज के बीच यह प्रेम कहानी दिल्ली तक पहुंचती है।
जैसा कि रिवाज है इस फिल्म का भी विरोध शुरू हो गया है। विरोध से थोड़ा आगे बढ़ कर गेम ऑफ अयोध्या के निर्देशक सुनील सिंह के घर पर हमला किया गया है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सहयोगी संगठन हिंदू जागरण मंच ने अलीगढ़ के सिविल लाइंस में उनके मकान पर चारकोल फेंका है। इस बार भी निर्देशक के बहाने गरीब इतिहास को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है। बमुश्किल पच्चीस साल पहले की घटना पर मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है, ‘इतिहास से छेड़छाड़ हुई है!’
ट्रेलर जारी होने के बाद से विवाद ने तूल पकड़ना शुरू किया है। निर्देशक सुनील सिंह ने राज्य सरकार से सुरक्षा मांगी है। इस फिल्म में प्रेम के साथ-साथ विवादित ढांचे के गिरने और दक्षिणपंथी राजनीति और इससे जुड़े नेताओं के भाषण की क्लिपिंग भी बीच-बीच में डाली है। विवाद की मूल वजह ट्रेलर में यह दिखाना है कि विवादित स्थल पर मूर्ति नहीं थी जो बाद में लाई गई। मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लोग अलीगढ़ में फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने देंगे। पद्मावती के साथ लगता है प्रदर्शन के इंतजार की कतार में एक और फिल्म लग गई है।