Advertisement

इस फिल्म के लिए तोड़ लिया था भूमि ने दुनिया से नाता

दम लगा के हइशा, टॉयलेट एक प्रेम कथा और शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों से अपना लोहा मनवा चुकीं भूमि...
इस फिल्म के लिए तोड़ लिया था भूमि ने दुनिया से नाता

दम लगा के हइशा, टॉयलेट एक प्रेम कथा और शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों से अपना लोहा मनवा चुकीं भूमि पेडनेकर अपने रोल के लिए दीन-दुनिया से बिलकुल अलग हो गई थीं। उन्हें ऐसा करने के लिए किसी ने कहा नहीं था लेकिन उनका मानना है कि कुछ अच्छा देने के लिए पहले अंदर अच्छा समेटना पड़ता है।

‘सोन चिरैया’ के लिए अकेलापन

भूमि जल्द ही 1970 के दशक के चंबल पर आधारित फिल्म सोन चिरैया में दिखाई देंगी। फिल्म का निर्देशन अभिषेक चौबे ने किया है। सोन चिरैया की तैयारी के लिए ही उन्होंने खुद को सबसे अलग-थलग कर लिया था। फिल्म में वह महिला डकैत की भूमिका में होंगी। भूमि का कहना है कि अभिनय उनके लिए मेटामॉरफोसिस की प्रक्रिया है। कुछ नया करने के लिए वह भूल जाती हैं कि वह कौन हैं। हर कलाकार का अपना तरीका होता है और सोन चिरैया के लिए अकेले रहना बहुत जरूरी था। अपने चरित्र को समझने के लिए मुझे उसका मनोविज्ञान समझना था, व्यवहार समझना था ताकि चरित्र उभर कर आ सके।

बस परिवार से मिलती थीं भूमि

अपनी भूमिका की तैयारी के लिए भूमि सिर्फ अपने परिवार से मिलती थीं। वह खुद को ‘बेचैन अभिनेत्री’ मानती हैं। जब तक मैं उस चरित्र को खोज नहीं लेती जिसकी भूमिका मुझे निभानी है मुझे शांति नहीं मिलती। यही वजह थी कि मैंने खुद को सबसे दूर कर लिया था और उसी चरित्र को अंदर ही अंदर समझ रही थी। मैं लगभग एक महीना सबसे दूर रही।

सीखने के लिए भूलना जरूरी

बकौल भूमि, ‘‘उस चरित्र को सीखने के लिए जरूरी था कि मैं बहुत सी सीखी हुई बातें भूल जाऊं। तभी कुछ नया निकल कर आ सकता था। मैं घर पर ही रही, उस चरित्र के बारे में शोध किया और फिर चंबल गई ताकि माहौल को बेहतर समझ सकूं। हालांकि यह कठिन था कि आप लोगों से बात न करें, इंटरनेट से दूरी बना लें। लेकिन अच्छी भूमिका निभाने का बस यही एक रास्ता था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
  Close Ad