विशाल शुक्ला
कहते हैं कि म्यूज़िक इंडस्ट्री में पहला ब्रेक मिलने के बारे में किशोर कुमार कहा करते थे कि छुटपन के दिनों मे जब उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने उन्हें संगीतकार एसडी बर्मन से मिलवाया। अशोक कुमार उर्फ दादा मुनि ने उन्हें बताया, “मेरा भाई भी थोड़ा-थोड़ा गा लेता है।”
किशोर कुमार के ही शब्दों में, "एसडी बर्मन ने मेरा नाम पूछा और कोई गाना गाने को कहा। इस पर मैंने उस समय का उनका ही गाया हुआ, एक मशहूर बंगाली गाना गाया। मेरा गाना सुनकर वो बोले- अरे यह तो मुझे ही कॉपी कर रहा है। मैं इसे निश्चय ही गाने का मौका दूंगा। मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि सचिन दा मुझसे गाना गवाएंगे।"
किशोर कुमार टीनएज में ही अपने भाई अशोक कुमार के पास मुम्बई में चले आए, जो उस समय के स्थापित एक्टर थे, ये केएल सहगल और खेमचन्द प्रकाश जैसों का वक़्त था और किशोर कुमार भी इन्हीं को अपना आदर्श मानते थे। जल्द ही उन्हें पहला ब्रेक मिला जब खेमचन्द प्रकाश के संगीत निर्देशन मे सन 48 मे उन्हें देव आनंद के लिए 'मरने की दुआएं क्यों मांगू' के लिए प्लेबैक करने का मौका मिला। 80-90 के दशक की बॉलीवुड की मशहूर जतिन-ललित की जोड़ी के ललित कहते हैं, "गानों में मस्ती का एक्सप्रेशन बहुत मुश्किल से आता है। लेकिन किशोर दा के साथ वह स्वाभाविक रूप से आ जाता था। उनके गानों में इतना एक्सप्रेशन सुनाई देता था, जो हम कर नहीं पाते हैं।"
यूं तो किशोर कुमार ने मोहम्मद रफी और मुकेश की मौजूदगी में अपने पैर जमाना शुरू किया था पर आज भी उनका नाम अलग ही चमक रहा है। मस्ती भरे गानों, जैसे- खाई के पान बनारस वाला, मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू, मेरे सामने वाली खिड़की मे के अलावा रोमांटिक गाने, जैसे- ओ मेरे दिल के चैन, रूप तेरा मस्ताना, छूकर मेरे मन को में जान फूंक दी। इसके अलावा उनके गाए सैड सांग्स मसलन, जिंदगी का सफर, जिंदगी के सफर में, दिल ऐसा किसी ने तोड़ा को भी अमर कर दिया।
ललित आगे कहते हैं, "उनके संगीत की समझ इतनी अधिक थी कि अगर संगीतकार थोड़ी खराब धुन लेकर आए तो वो उसमें इतनी जान फूंक देते थे कि वो गाना अमर हो जाता था। किशोर कुमार का सेंस ऑफ ह्यूमर ऐसा था कि उनके बारे में कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता था कि उनका अगला कदम क्या होगा।" ललित बताते हैं कि एक बार किशोर कुमार किसी हाइवे पर फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। निर्देशक ने समझाया, “आपको गाड़ी में बैठकर आगे जाने और इसके बाद शॉट कट हो जाएगा।” ललित बताते हैं, "इसके बाद किशोर कुमार गाड़ी में बैठे और निकल गए। इसके बाद निर्देशक इंतजार करता रहा कि किशोर दा कब लौटकर आएंगे। बाद में पता चला कि वो गाड़ी से खंडाला जाकर वहां सो गए थे।
कहा तो ये भी जाता है कि राजेश खन्ना जितने बड़े एक्टर बने और जितने बड़े सुपर स्टार बने, उसमें बहुत बड़ा हाथ किशोर कुमार का था। किशोर कुमार ने जिन जिन एक्टर्स के लिए प्लेबैक किया, वो अमर हो गए। इससे सहज ही किशोर कुमार की अजीम शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। जावेद अख़तर कहते हैं, "मैंने कई ऐसे नौजवान संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है, जिन्हें किशोर कुमार से मिलने तक का मौका नहीं मिला है। लेकिन मैंने कई मर्तबा उन्हें यह कहते हुए सुना है कि काश किशोर कुमार इस गाने को गाने के लिए जिंदा होते।"
बेहतरीन गायक होने के साथ साथ किशोर कुमार एक प्रयोगधर्मी कलाकार भी थे, इसकी मिसाल है याडलिंग की विधा, जिससे किशोर कुमार ने ही सबसे पहले भारतीय श्रोताओं को परिचित करवाया। उन्होंने इस विधा में जिंदगी एक सफर, मैं सितारों का तराना जैसे गीतों से प्रशंसको को एंटेरटेन करते रहे। मौसिकी के तलबगार किशोर कुमार निजी जिंदगी में भी उतने ही शौकीन मिजाज थे। उनके बड़े बेटे अमित कुमार कहते हैं कि उनके पिता को हॉलिवुड की फ़िल्में देखना बहुत पसंद था। एक बार वह अमेरिका गए तो आठ हजार डॉलर की फिल्मों के कैसेट खरीद कर लाए। अमित कुमार बताते हैं कि जब वह कलकत्ता से मुंबई आते थे तो वह और किशोर कुमार सप्तहांत में एक दिन में फिल्मों के तीन-तीन शो देखने जाया करते।
गायिकी के अलावा किशोर ने ‘हाफ टिकट’, ‘नई दिल्ली’, ‘चाचा जी जिंदाबाद’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘बाप रे बाप’ जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय के भी झंडे गाड़े।
शायद किशोर कुमार ही ऐसे गायक थे जिनके समय मे किसी और गायक के लिये जगह नही बची थी। इसका सबूत हैं उनकी जीती गयीं 8 फिल्मफेयर ट्राफियां और विभिन्न भाषाओं में गाए उनके 35,000 गाने। किशोर कुमार उन दुर्लभ गायकों में से हैं जिसने पिता-पुत्र के लिए प्लेबैक किया, मसलन शशि कपूर-कुणाल कपूर, देव आनंद-सुनील आनंद, धर्मेंद्र -सन्नी देओल आदि।
12 अक्टूबर 1987 तक मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म 'वक्त की आवाज' के लिए प्लेबैक सिंगिंग करते रहे इस मल्टी टैलेंटेड सितारे ने अगले ही दिन 13 अक्टूबर 1987 को कह दिया-
जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर,
कोई समझा नही, कोई जाना नही,
है ये कैसी डगर, चलते हैं सब मगर
कोई समझा नही, कोई जाना नही
जिंदगी को बहुत हमने प्यार किया
मौत से भी मोह्हबत निभाएंगे...