“समाज में हमारे इर्द-गिर्द ऐसी कई घटनाएं देखने को मिलती हैं, जहां वृद्ध माता-पिता को असहाय छोड़ दिया जाता है। सिनेमाई परदे पर इसके अक्स कई बार दिखे। ऐसी कुछ चुनिंदा हिंदी फिल्में :”
मेरे अपने (1971)
निर्देशक गुलजार की मेरे अपने में मुख्य भूमिका मीना कुमारी, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाई। आनंदी देवी बूढ़ी विधवा है, जिसे एक दिन एक शहरी आदमी, रिश्तेदार बता कर गांव से शहर ले जाता है। कुछ दिनों में आनंदी देवी को पता चल जाता है कि वह अपने घर में मुफ्त की नौकरानी बनाने के लिए लाया है। परिस्थितिवश आनंदी को घर छोड़ना पड़ता है। बूढ़ी और असहाय आनंदी को बेरोजगार युवक श्याम और उसके दोस्त मां की तरह मान कर सम्मान देते हैं।
स्वर्ग (1990)
1990 में रिलीज हुई निर्देशक डेविड धवन की स्वर्ग में मुख्य भूमिका राजेश खन्ना, गोविंदा, जूही चावला ने निभाई। फिल्म में मुख्य किरदार कुमार को उनके दो भाई विक्की और रवि षड्यंत्र रचकर कंगाल बना देते हैं। कुमार अधेड़ उम्र में छोटी बहन ज्योति के साथ सड़क पर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। तब उनका नौकर कृष्णा, रवि और विकी से बदला लेता है और कुमार को उनका हक, उनका घर वापस दिलाता है। रवि और विकी को अपने कर्मों पर अफसोस होता है लेकिन तब तक कुमार का देहांत हो जाता है।
रुई का बोझ (1997)
रुई का बोझ सन 1997 में रिलीज हुई फिल्म है, जिसे सुभाष अग्रवाल द्वारा निर्देशित किया गया। फिल्म में मुख्य भूमिका पंकज कपूर, रघुबीर यादव, रीमा लागू ने निभाई। मुख्य किरदार किशन शाह वृद्ध अवस्था में अपनी संपत्ति का बंटवारा करते हैं और अपने सबसे छोटे पुत्र राम शरण के साथ रहने का निर्णय लेते हैं, मगर बुढ़ापे के स्वभाव और जिम्मेदारियों के कारण किशन शाह और राम शरण के परिवार के बीच नोकझोंक की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे दुखी होकर किशन शाह घर छोड़कर जाने का निर्णय लेते हैं। बीच रास्ते में किशन शाह को परिवार की याद आ जाती है और वह परिवार के पास लौट जाते हैं। इस दौरान राम शरण के परिवार को भी किशन शाह का महत्व समझ आ जाता है।
वध (2022)
2022 में रिलीज हुई वध का निर्देशन जसपाल सिंह संधू और राजीव बरनवाल ने किया। फिल्म में मुख्य भूमिका संजय मिश्रा और नीना गुप्ता ने निभाई। मुख्य किरदार शंभूनाथ मिश्रा ने अपने इकलौते बेटे को विदेश भेजने के लिए बैंक से लोन लिया और अपना घर गिरवी रख दिया। बेटा विदेश पहुंचने के बाद बूढ़े शंभूनाथ मिश्रा और उनकी पत्नी मंजू मिश्रा को भूल गया। पेंशन पर जीवन गुजार रहे शंभूनाथ मिश्रा का बुढ़ापा बैंक का लोन चुकाने में पिसता रहता है। इन्हीं परिस्थितियों में शंभूनाथ मिश्रा का जीवन हर गुजरते हुए दिन के साथ नर्क बनता जाता है।
बागबान (2003)
निर्देशक रवि चोपड़ा की बागबान 2003 में रिलीज हुई। फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, सलमान खान, महिमा चौधरी ने निभाई। मुख्य किरदार राज मल्होत्रा अपनी पत्नी पूजा मल्होत्रा के साथ मिलकर अपने चार बेटों की परवरिश करते हैं। बुढ़ापे में जब राज और पूजा को अपने बेटों की जरूरत होती है तो बेटे उन्हें अनमने ढंग से स्वीकार करते हैं। स्वीकार करते हुए यह शर्त रखते हैं माता-पिता थोड़े-थोड़े समय के लिए सभी बेटों के साथ बारी-बारी से रहेंगे। माता-पिता इस बंटवारे को स्वीकार करते हैं और आने वाले दिनों में बुरा बर्ताव सहते हैं, दुखी करने वाली बातें सुनते हैं। राज और पूजा का सहारा बनता है उनका गोद लिया बेटा आलोक मल्होत्रा, जो सगे बेटे से बढ़कर उनकी सेवा करता है। राज अपने सभी अनुभवों को उपन्यास के रूप में लिखते हैं और उपन्यास को प्रकाशित करवाते हैं। उपन्यास सफल होता है।
मुक्ति भवन (2016)
2016 में वेनिस फिल्म फेस्टिवल में रिलीज हुई फिल्म मुक्ति भवन निर्देशक सुभाशीष भुटियानी की फिल्म है। फिल्म में मुख्य भूमिका आदिल हुसैन और ललित बहल ने निभाई। फिल्म में मुख्य किरदार दया को एक दिन आभास होता है कि वह मरने वाले हैं। उनकी अंतिम इच्छा होती है कि उनके प्राण काशी में निकलें। वह अपनी इच्छा अपने बेटे राजीव के सामने रखते हैं। राजीव पिता को काशी ले जाते हैं। राजीव अपनी सब जिम्मेदारी छोड़कर घर और नौकरी से दूर पिता के साथ काशी प्रवास कर रहे हैं लेकिन उन्हें पिता की मृत्यु के कोई संकेत नहीं नजर आते। एक ओर बूढ़े पिता की काशी प्रवास की जिद और दूसरी तरफ घर और नौकरी की जिम्मेदारी राजीव के भीतर गुस्सा और असंतोष पैदा करती है, जिससे दर्शक को महसूस होता है कि दया का जीवित रहना राजीव को चुभने लगा है।
गुलाबो सिताबो (2020)
निर्देशक शूजित सरकार की गुलाबो सिताबो में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना, फारुख जफर ने निभाई। मुख्य किरदार मिर्जा अपनी पत्नी फातिमा बेगम की हवेली में घर जमाई बनकर रहते हैं। मिर्जा की नजर बेगम की हवेली पर है, जिसके वह बेगम की मृत्यु के बाद ही मालिक हो सकते हैं। हवेली में कई किरायेदार भी रहते हैं, जो किराया देने में आनाकानी करते हैं। बूढ़े मिर्जा की किरायेदारों से भी नोकझोंक चलती रहती है और अपनी बेगम से भी डांट पड़ती है। बूढ़े मिर्जा के मन में इतनी असुरक्षा और लालच है कि वो किरायेदारों को निकालने के लिए जी जान लगा देते हैं।
102 नॉट आउट (2018)
निर्देशक उमेश शुक्ला की 102 नॉट आउट 2018 में रिलीज हुई। फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ने निभाई। फिल्म में 102 वर्षीय दत्तात्रेय और उनके 75 वर्षीय पुत्र बाबूलाल के बीच के संबंधों का चित्रण है। 102 वर्षीय दत्तात्रेय एक खुशमिजाज आदमी हैं जिनकी चाहत है कि वह दुनिया में सबसे लंबी उम्र तक जीने वाले आदमी बनें, मगर उनके बेटे बाबूलाल का नकारात्मक रवैया उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा महसूस होता है। तब दत्तात्रेय निर्णय लेते हैं कि वह अपने बेटे के स्वभाव में बदलाव लाने की पुरजोर कोशिश करेंगे। दत्तात्रेय तो अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल नहीं होते मगर वह दुनिया से जाते हुए अपने बेटे बाबूलाल को जीना जरूर सिखा देते हैं।
अमृत (1986)
1986 में रिलीज हुई अमृत का निर्देशन मोहन कुमार ने किया। फिल्म में मुख्य भूमिका राजेश खन्ना, स्मिता पाटिल ने निभाई। फिल्म में मुख्य किरदार कमला विधवा है और अपने बच्चों द्वारा प्रताडि़त होती है। ठीक इसी तरह अमृत नाम का एक विधुर भी अपने बच्चों, परिवार द्वारा अपमानित होता है। अमृत और कमला का जीवन अपमानित होने और अपशब्द सुनने में बीत रहा होता है। तभी अमृत और कमला की मुलाकात होती है। दोनों जब एक दूसरे से मिलते हैं तो एक-दूसरे के दुख को पहचान लेते हैं। और फिर दोनों नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं।
अवतार (1983)
निर्देशक मोहन कुमार की अवतार 1983 में रिलीज हुई। राजेश खन्ना और शबाना आजमी मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। मुख्य किरदार अवतार और उसकी पत्नी राधा को वृद्ध अवस्था में बेटे रमेश और चंदर द्वारा निरादर और छल का सामना करना पड़ता है। बेटों के कारण दर-ब-दर हो चुके अवतार और राधा हिम्मत नहीं हारते और संघर्ष का रास्ता अपना कर फिर से सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल करते हैं।