इन फिल्मों में सिनेमा के पारखी श्याम बेनेगल और रितुपर्णों घोष की भी फिल्में हैं। वर्ष 1956 में चिल्ड्रंस फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना के बाद इन फिल्मों का निर्माण किया गया लेकिन निर्माताओं की उदासीनता और उनके कमर्शियल फिल्मों को तरजीह देने के कारण इन्हें पहले रिलीज नहीं किया जा सका। इन फिल्मों में कुछ महत्वपूर्ण फिल्में जैसे बेनेगल की चरणदास चोर, घोष की हीरर अगूथी, बुद्धदेव दासगुप्ता की वो और मजाहिर रहीम की लाडली भी हैं।
इनमें से कई फिल्में 10 क्षेत्रीय भाषाओं में बनी हैं और इनमें से अधिकतर को कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। सीएफएसआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रवण कुमार के अनुसार अर्थपूर्ण सिनेमा और उनके वितरण की प्रणाली लोकतांत्रिक नहीं रही है। बाल फिल्मकारों को सिनेमाघरों में उनकी फिल्म के प्रदर्शन के पर्याप्त अवसर नहीं मिलते जिससे वह बाल फिल्म बनाने को लेकर हतोत्साहित होते हैं।
कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, हमने अपने अभिलेखागार में से पहले 100 फिल्मों को सूचीबद्ध किया और उन्हें डिजिटल रूप में परिवर्तित किया ताकि वह मल्टीप्लेक्सों में रिलीज होने के अनुरूप बन सकें। इन फिल्मों को डिजिटल रूप में परिवर्तित कर राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार में संरक्षित किया गया था। जुलाई 2012 में गट्टू ऐसी फिल्म थी जिसे रिलीज किया गया था।