इमरजेंसी के दौरान अभिनेता देव आनंद अपने साथी अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार से नाखुश थे। इसकी वजह यह थी कि जहां एक ओर इमरजेंसी के दौरान देव आनंद, इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में अकेले खड़े थे। वह भी तब, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानते थे। बावजूद इसके उन्होंने अन्याय का पुरजोर विरोध किया। इस विरोध के कारण उनको काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इसी दौरान अभिनेता मनोज कुमार इंदिरा गांधी का समर्थन कर रहे थे।
वह इमरजेंसी के खिलाफ कोई बात नहीं कह रहे थे। मनोज कुमार जैसे जिम्मेदार कलाकार से देव आनंद को ऐसी उम्मीद नहीं थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सात लोगों की एक समिति गठित की थी, जिसमें देव आनंद एकमात्र अराजनीतिक व्यक्ति थे। इसी समिति ने वोट देकर मोरारजी देसाई को पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में चुना। यह देव साहब का मिलनसार व्यवहार ही था कि जयप्रकाश नारायण से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक सब उनके मुरीद थे। समय के साथ सब गिले शिकवे मिट जाते हैं। सो देव आनंद और मनोज कुमार के बीच भी कोई विशेष मनमुटाव नहीं रहा। लेकिन इतिहास में यह जरूर दर्ज हो गया कि इमरजेंसी के दौरान देव आनंद अधिकारों की आवाज उठा रहे थे और मनोज कुमार सत्ता के साथ थे।