देव आनन्द जब गुरदासपुर पंजाब से मायानगरी मुंबई में हिंदी फ़िल्मों में काम करने आए, तब तक सुरैया एक सुपरस्टार थीं। बतौर गायिका सुरैया का बहुत नाम था। अभिनेत्री के रूप में भी दर्शक सुरैया को खूब पसंद करते थे। देव आनन्द एक स्ट्रगलर की हैसियत से फ़िल्मों में काम शुरू कर रहे थे। देव आनन्द और सुरैया ने सन 1948 में एक साथ जिस फ़िल्म में पहली बार काम किया, उसका नाम था " विद्या "। देव आनन्द में अदा, प्रतिभा और आकर्षण था। इसी आकर्षण में सुरैया सम्मोहित हो गईं। देव आनन्द के लिए सुरैया स्टार थीं। नौजवान देव के लिए सुरैया के प्रति आकर्षित होना सामान्य था। फ़िल्म विद्या के बाद देव आनन्द और सुरैया ने कई फ़िल्मों में साथ काम किया और उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इस तरह दोनों एक दूसरे के बेहद नज़दीक आ गए। दोनों एक दूसरे से बेतहाशा मुहब्बत करने लगे।
देव आनंद मशहूर हो चुके थे। सुरैया के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट हो चुकी थी। देव चाहते थे कि उनका विवाह सुरैया से हो जाए। सुरैया भी यही चाहती थीं। मगर इस समाज में प्रेम कब प्रेमियों की मर्ज़ी से पूर्ण होता है।देव आनंद और सुरैया के प्रेम में दीवार बनी सुरैया की नानी। सुरैया की नानी का सुरैया के परिवार में बहुत दबदबा था। कोई भी उनकी बात टाल नहीं पाता था। सुरैया देव आनंद से प्रेम तो करती थीं मगर नानी का डर सुरैया पर हावी था। जब सुरैया की नानी को देव और सुरैया के रिश्ते का पता चला तो उन्होंने इस प्रेम को उसी क्षण ख़ारिज कर दिया। सुरैया मुस्लिम थीं और देव हिन्दू। सुरैया की नानी को यह रिश्ता सख़्त नापसंद था।