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हैरी को सेजल मिली दर्शकों को क्या मिला

जब हैरी मेट सेजल यानी कि हिंदी में बोले तो जब हैरी सेजल से मिला। तो हैरी जब सेजल से मिला तो स्यापा पै गया। ऑरिजनल स्यापा। जो सेजल की अंगूठी में लगा ता ओरिजनल डायमंड उतना ही ओरिजनल। हैरी को तो फिल्मी पौने तीन घंटे में सेजल, यू नो सेजल मिली, पर भैया इम्तियाज से कोई तो जाके पूछो मल्टीप्लेक्स जाने वाली जनता को क्या मिला?
हैरी को सेजल मिली दर्शकों को क्या मिला

वो अपने मुंबई में हे ने झवेरी भाई। वो ने पूरे फैमिली के साथ ने योरोप घूमने को गए। अब डायमंड मरचेंट हे ने तो वो कहीं भी जा सकते है। और अपनी डिकरी को ने वहीं छोड़ कर वापस मुंबई आ सकते हैं। डीकरी फिर वापस उसी लोकेशन को घूम सकती है और भोत सारा पैसा उड़ा सकती है। वहीं ने अपना टूरिस्ट गाइड है हैरी, हरिंदर नेहरा (जाहिर सी बात है किंग खान) उसने पूरे ग्रुप की ने बहुत अच्छे से देखभाल की। अब आपको मैं जो ये ‘ने’ ‘ने’ लगा के सेंटेंस लिख रही ने तो भोत अजीब लग रा होगा ने। तो सोचो तीन घंटे सेजल बनी अनुष्का गुजराती एक्सेंट लाने के लिए ये ‘ने’ ‘ने’ की रट लगाती है तो हमको केसा लगा होगा ने! सेजल की यूरोप में ‘रोमांटिक’ एंगेजमेंट हुई और वो एंगेजमेंट रिंग सेजल से खो गई। अब सेजल अपने टूरिस्ट गाइड के साथ फिर से यूरोप की उसी लोकेशन पर गई जहां-जहां वो अपनी फैमिली के साथ घूमी थी। निर्देशक को हीरो-हिरोइन को तीन घंटे कहीं तो घुमाना था न वरना फिल्म कैसे बनती। अंगूठी ऐसी कि खोजते-खोजते लव हो जाए। तो जी हो गया। हैरी बाबू को जैसे की बिलकुल आखरी रील में रिएलाइज होता है हुआ और वो अपनी माशूका की शादी अटैंड करने यूरोप से मुंबई पहुंच गए। फिर निर्देशक ने और 25 मिनट दर्शकों पर जुल्म ढाए और लौट के बुद्धू घर को गए।

यह सब पढ़ कर फिल्म बोर लग रही हो तो वेट...वेट...। हिंदुस्तान के तमाम युनिवर्सिटी और कॉलेज के बच्चे क्या करेंगे। वीक एंड में बैठ कर तालियां बजाएंगे। सीटी मारेंगे। पर यदि आप इस उम्र से ऊपर आ चुके हैं तो अपना इत्तू सा भी दिमाग लेकर मत जाना। यदि दिमाग ले कर गए तो सिरदर्द की दवा भी लेकर जाना। अगर एक लड़की की यूरोप यात्रा और खुद को खोजने की कहानी ही देखनी है तो एक बार फिर क्वीन देख लीजिए। कम से कम क्वीन की रानी में हिम्मत होती है कि वह अपने मंगेतर के हाथ में सगाई की अंगूठी पकड़ा कर आत्मविश्वास से उस व्यवस्था से बाहर आ जाती है। सेजल तो बस हर वक्त यह सोचती है कि हैरी किसी भी तरह उसके साथ वह सब कर ले जो वह बाकी लड़कियों के साथ करने के लिए बदनाम है।

शाहरूख अपनी रोमांटिक ताजगी पूरी तरह खो चुके हैं। गले की उभरी हुई नसें और खाली आंखें अब दिवानगी पैदा नहीं करतीं। अनुष्का कई बार उनसे आगे निकली हैं। शाहरूख को देख कर लगता है जैसे उन्होंने अनुष्का के आगे घुटने टेक दिए हैं। इम्तियाज के लिए तो यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने अच्छी कोशिश की है। एक सीन, एक गाना, एक संवाद कुछ तो होता जिसे थिएटर से बाहर आ कर कह सकते कि जब हैरी सेजल से मिला तो कुछ कुछ होने लगा।

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