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फिल्म समीक्षा : हू एम आई

'Who Am I’ अत्यंत सुंदर फिल्म है जो प्रसिद्ध लेखक अशोक जमनानी द्वारा कलमबद्ध उपन्यास ‘को अहं’ (संस्कृत...
फिल्म समीक्षा : हू एम आई

'Who Am I’ अत्यंत सुंदर फिल्म है जो प्रसिद्ध लेखक अशोक जमनानी द्वारा कलमबद्ध उपन्यास ‘को अहं’ (संस्कृत में अर्थ - ‘मैं कौन हूं’) की आध्यात्मिक, दार्शनिक कहानी पर आधारित है। अशोक जमनानी मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के निवासी हैं। अशोक जमनानी ने कल्लोल मुखर्जी के साथ फिल्म की रूपांतरित पटकथा और संवादों का सह-लेखन किया है। धीमी गति की पटकथा के दृश्य उसी गति में स्थापित किए गए हैं। विश्वस्तर पर चर्चित ‘Who Am I’ ने रिलीज से पहले कई पुरस्कार जीते। ये फिल्म जापान, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी के फिल्म समारोहों में सराही जाने के कारण वैश्विक हिट रही।

प्रतिभाशाली युवा निर्देशक शिरीष खेमरिया इस मनमोहक फिल्म के निर्देशक हैं। उपन्यास की मूल कहानी फिल्माने के लिए अनुकूलित करना कठिन होता है, अतः फिल्म रोचक बनाने हेतु शिरीष ने कहानी में थोड़ा बदलाव किया। फिल्म दर्शनशास्त्र के छात्र, युवा नायक ‘भवितव्य’ द्वारा जीवन के रहस्य खोजने की कहानी है। ‘भवितव्य’ मस्तिष्क में घुमड़ते अनुत्तरित सवालों की तलाश में भटकता है। उपन्यास का भावनात्मक, आध्यात्मिक ताना-बाना जीवंत बनाने के प्रयास में शिरीष आंशिक रूप से सफल रहे हैं। नायक द्वारा प्रदर्शित अज्ञात भय और अस्तित्व संबंधी प्रश्नों को प्रतिध्वनित करने का शिरीष का प्रयास भी कुछ हद तक सफल रहा है। युवा निर्माता शिरीष प्रकाश के बैनर ‘राइट क्लिक प्रोडक्शंस’ के तले फिल्म का निर्माण हुआ है। फिल्म के आध्यात्मिक स्वरुप के अनुरूप, इसका सुमधुर, कर्णप्रिय संगीत कहानी की प्रकृति से मेल खाता है। ‘को अहं’ उपन्यास के लेखक अशोक जमनानी द्वारा रचित, मां नर्मदा की स्तुति वाला सुंदर गीत ‘अमृता नर्मदा सर्वदा नर्मदा’, विशेष रूप से सुनने योग्य है। ये गीत दरभंगा घराने के प्रसिद्ध गायक मल्लिक बंधुओं ने संगीतबद्ध करके राग बसंत में गाया है। अनुभव सिंह ने अन्य गीत रचे हैं। आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि शूटिंग के दौरान फिल्म के अधिकतर कलाकार और क्रू के सदस्य 25 वर्ष से कम उम्र के युवा थे। 

मध्य प्रदेश की गौरव, पुण्यसलिला नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक शहर है। नर्मदा के सुरम्य तट पर फिल्माए परिचयात्मक दृश्य ने अनहोनी पटकथा के धीमी गति से चलते आख्यान के लिए भूमिका का कार्य किया है। आरंभिक दृश्य में नायक ‘भवितव्य’ (अभिनेता चेतन शर्मा) नर्मदा के शांत जल में डुबकी लगाकर जल से बाहर आता है जहां वयोवृद्ध स्वामीजी (वरिष्ठ अभिनेता सुरेंद्र राजन) तट पर उसकी प्रतीक्षा करते हैं। ‘भवितव्य’ और स्वामीजी के नर्मदा किनारे टहलने से फिल्म आरंभ होती है। फिल्म अमरकंटक के अलावा डिंडोरी, गाडरवारा और नर्मदापुरम शहरों में फिल्माई गई है। नर्मदा के आकर्षक, अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर, सुंदर स्थानों के दृश्य, कैमरामैन ने सुंदरता से फिल्माए हैं। शांत वन-भूमि और विशाल नदी तटों की भव्य, अछूती सुंदरता कैमरे में क़ैद करने के उल्लेखनीय प्रयासों के लिए कैमरामैन प्रशंसा के पात्र हैं। ये फिल्म उपर्युक्त जिलों का पर्यटन स्थलों के रूप में महत्व बढ़ाएगी।

नायक ‘भवितव्य/सदानंद’ की भूमिका अत्यंत प्यारे, बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न, आकर्षक युवा अभिनेता चेतन शर्मा ने निभाई है। चेतन ने बहुत कम उम्र से मुख्यधारा की फिल्मों और वेब सीरीज़ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। निर्देशक द्वारा युवा पंडित ‘भवितव्य’ के महत्वपूर्ण पात्र के लिए चेतन का चुनाव सर्वोत्कृष्ट है। फिल्म ‘भवितव्य’ द्वारा जीवन के अनसुलझे रहस्य सुलझाने की खोज में जीवन के प्रति भ्रमित रहना दर्शाती है। ‘भवितव्य’ के अवचेतन मन-मस्तिष्क में ‘कौन हूँ मैं’ जैसा प्रश्न जड़ें जमाता है। फिल्म ‘भवितव्य’ के अचेतन में नश्वर जीवन संबंधी चिंताएं और मृत्युपरांत क्या होता है, जैसे उलझाते अंदरूनी मनोभावों के कारण जीवन के अस्त-व्यस्त होने और बहुत कुछ असामान्य घटने की कहानी है। चेतन ने ‘भवितव्य’ के मस्तिष्क में अस्तित्वगत प्रश्नों, अमूर्त विचारों का अंतर्द्वंद और हृदयगत आंतरिक उथल-पुथल को चेहरे के उतार-चढ़ाव वाले भावों और शारीरिक व्याकुलता द्वारा अद्वितीय ढंग से अभिनीत करके अपनी भूमिका के साथ यथोचित न्याय किया है। ‘भवितव्य’ दर्शनशास्त्र जैसे गूढ़ विषय के लिए अत्यंत भोला लगा है। उसके बार-बार प्रश्न पूछने पर दर्शक आश्चर्यचकित होकर सोचते हैं कि वो सही स्रोतों से उत्तर खोजने के प्रयास क्यों नहीं करता। उसके आस-पास स्थित लोग और पारिस्थितिक तंत्र आश्वस्त करते हैं कि उसके आत्मखोजी प्रश्नों का किसी के पास तो उत्तर होगा।

जीवन के जटिल प्रश्नों से जूझते, उलझाते सवालों को सुलझाने के तारतम्य में ‘भवितव्य’ की भेंट वरिष्ठ, अनुभवी साधु, स्वामीजी से होती है। हिंदी सिनेमा के मंजे हुए अभिनेता सुरेंद्र राजन ने पूर्णतावादी अभिनय से स्वामीजी की भूमिका सशक्त, प्रभावशाली ढंग से निभाई है। वे भवितव्य के मन में व्याप्त उलझनों को दिशा देकर जीवन स्थिर करने में मदद करते हैं। वे ‘भवितव्य’ के साथ अपने जीवन की सर्वाधिक दुखद त्रासदी साझा करते हैं, जब उनकी पत्नी और बेटी की असामयिक मृत्यु के बाद उनका जीवन उदास, नीरस हो गया था। उनका चरित्र जीवन की आपाधापी, धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव, आशा-निराशा जैसी मिश्रित प्रतिक्रियाओं का प्रतीक है। उनकी व्यथा-कथा जानकर भवितव्य प्रभावित होता है। 

नवोदित ऋषिका चंदानी ने अपनी पहली हिंदी फिल्म में मुख्य अभिनेत्री ‘अदिति’ का किरदार निभाया है। अदिति का जीवन से भरपूर पात्र, भवितव्य के शांत-सौम्य, धीर-गंभीर, संकोची पात्र के सर्वथा विपरीत है। अदिति ने पर्दे पर जीवंत, सकारात्मक उपस्थिति से, फिल्म का गंभीर माहौल सहज बनाते हुए अपना किरदार बखूबी जिया है। भवितव्य के साथ अदिति का प्रेम संबंध गंभीर, परिपक्व दर्शाया गया है, जो हिंदी फिल्मों के अजीबोगरीब, बनावटी, विकृत रोमांस के विपरीत गरिमापूर्ण है। अदिति की विधवा मां भवितव्य को बतौर पेइंग गेस्ट, घर की ऊपरी मंजिल पर रहने की अनुमति देती है। उनकी दयालुता से मंत्रमुग्ध भवितव्य, शालीन आचरण से उनका मन मोहकर पारिवारिक सदस्य की तरह रहता है। 

शशि वर्मा, दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर ‘वीएलएन सर’ की भूमिका में कुछ हद तक प्रभावशाली लगे हैं। भवितव्य उनका सम्मान करता है, लेकिन प्रोफेसर द्वारा अपने प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाने से उसकी मानसिक उद्विग्नता बढ़ जाती है। भवितव्य और प्रोफेसर के संवादों का आदान-प्रदान बेहतर बनाया जा सकता था। अपने पसंदीदा प्रोफेसर के आकस्मिक निधन के बाद, अत्यंत व्याकुल भवितव्य ये पता लगाने के लिए आत्म-खोजी यात्रा पर निकलता है कि वो कौन है और उसके जीवन का अर्थ क्या है। ‘Who Am I’ 22 नवंबर 2023 को जियो सिनेमा पर रिलीज़ हुई है। ये देखने योग्य ख़ूबसूरत फिल्म है जो सार्थक फिल्में पसंद करने वाले सिने-प्रेमियों को अवश्य पसंद आएगी। 

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