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अब सेंसर बोर्ड पर चलेगी श्‍याम बेनेगल की कैची!

अक्‍सर फिल्‍मों सीन पर कैचियां चलाने वाले सेंसर बोर्ड को अब खुद एक कसौटी से गुजरना है। केंद्र सरकार ने जाने-माने फिल्‍मकार श्‍याम बेनेगल को फिल्‍मों के प्रमाणन की मौजूदा व्‍यवस्‍था पर सुझाव देने का जिम्‍मा दिया है। श्‍याम बेनेगल को यह जिम्‍मेदारी मिलने के साथ ही सेंसर बोर्ड के अध्‍यक्ष पहलाज निहलानी को हटाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
अब सेंसर बोर्ड पर चलेगी श्‍याम बेनेगल की कैची!

बेनेगल के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जिसमें राकेश ओमप्रकाश मेहरा, विज्ञापन गुरू पीयूष पांडेय और फिल्‍म समीक्षक भावना सोमाया भी शामिल हैं। समिति से अपनी रिपोर्ट दो महीने के भीतर अपनी सौंपने को कहा गया है। हाल के दिनों में सेंसर बोर्ड अपने कामकाज और रवैये को लेकर काफी विवादों में रहा है। मोदी सरकार द्वारा नियुक्‍त केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चेयरमैन पहलाज निहलानी भी कई बार विवादों में पड़ चुके हैं। 

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "ज्‍यादातर देशों में फीचर फिल्‍मों और वृत्‍त चित्रों को प्रमाणित करने की व्‍यवस्‍था/प्रक्रिया है। हालांकि यह सुनिश्‍चित किया जाना चाहिए कि ऐसा करते हुए कलात्‍मक रचनात्‍मकता और स्‍वतंत्रता को दबाया/कम न किया जाए तथा जिन लोगों को फिल्‍मों के प्रमाणन का दायित्‍व सौंपा गया है, वे इन बारिकियों को समझें।... इसी दृष्‍टिकोण तथा माननीय प्रधानमंत्री के विजन को ध्‍यान में रखते हुए श्‍याम बेनेगल की अध्‍यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो ऐसे परिवेश को सुनिश्‍चित करने के लिए परिप्रेक्ष्‍य सुझाएगी। " 

मंत्रालय के इस बयान से साफ है कि सरकार फिल्‍मों के प्रमाणन की व्‍यवस्‍था का दुरस्‍त करने के साथ-साथ इस काम में लगे लोगों की समझ को लेकर भी जागरूक हो रही है। इस मामले में हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने भी सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली पर फिर से विचार करने की बात कही थी। सेंसर बोर्ड पर मनमाने तरीके से सीन काटने और आपत्तिजनक सीन को मंजूरी देने संबंधी आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में हॉलीवुड फिल्म स्पेक्टर के चुंबन दृश्‍यों को काटने को लेकर बोर्ड विवादों में रहा। इसके अलावा बोर्ड की ओर से जारी प्रतिबंधित शब्दों की सूची पर भी काफी विवाद हुआ था। 

बयान में कहा गया है कि उम्मीद है समिति अपनी चर्चा के दौरान विश्व के विभिन्न हिस्सों में अपनायी जाने वाले सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर गौर करेगी, विशेष तौर पर जहां फिल्म को रचानात्मकता एवं कलात्मक अभिव्यक्ति का पर्याप्त मौका दिया जाता है। सेंसर बोर्ड के स्टाफ ढांचे पर भी गौर किया जाएगा ताकि एक तंत्र की सिफारिश की जा सके जो प्रभावी, पारदर्शी एवं उपयोगकर्ता अनुकूल सेवाएं मुहैया कराए। 

 

 

 

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