आज हिन्दी सिनेमा के सफल निर्देशक महेश भट्ट का जन्मदिन है। उनका जन्म 20 सितम्बर सन 1948 को मुम्बई में हुआ था। महेश भट्ट की हिन्दी सिनेमा के प्रयोगवादी फिल्म निर्देशक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने एक अलग ढंग से सिनेमा का इस्तेमाल मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक विषमताओं की अभिव्यक्ति के लिए किया। साल 1990 में रिलीज हुई फिल्म आशिकी महेश भट्ट के फिल्मी करियर की महत्वपूर्ण फिल्म रही। महेश भट्ट के जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं फिल्म आशिकी के निर्माण से जुड़ी रोचक बातें।
अनुराधा पौडवाल ने नदीम श्रवण और गुलशन कुमार को मिलवाया
टी सीरिज़ के मालिक गुलशन कुमार अपने म्यूज़िक एल्बम "लाल दुप्पटा मलमल का" के सुपरहिट होने से बहुत उत्साहित थे। उनके मन में था कि एक और ऐसा ही सुपरहिट एल्बम बनाया जाए । गायिका अनुराधा पौडवाल की गुलशन कुमार से अच्छी जान - पहचान थी । जब उन्हें ये बात पता चली तो उन्होंने संगीतकार जोड़ी नदीम - श्रवण से कहा कि गुलशन कुमार एक प्राइवेट म्यूजिक एल्बम बनाना चाहते हैं ,सो वह गुलशन जी से जाकर एक बार मिल लें । उस वक़्त संगीतकार नदीम - श्रवण ,गीतकार समीर साथ मिलकर फ़िल्मी दुनिया का चिर परचित स्ट्रगल कर रहे थे। ये मौका उनके लिए क़िस्मत बदलने वाला हो सकता था ।जब नदीम - श्रवण और समीर गुलशन कुमार के पास पहुंचे तो बातचीत के दौरान गुलशन कुमार ने बताया कि उन्हें एक बेहद रोमांटिक म्यूज़िक एल्बम की ज़रूरत है । ये सुनकर नदीम - श्रवण पूरे आत्मविश्वास के साथ बोले " गुलशन जी जैसा आप चाहेंगे हो जाएगा "। गुलशन कुमार ने एल्बम का नाम "चाहत" रखने का सोच रखा था। ये भी कमाल रहा कि म्यूज़िक एल्बम का पहला गीत जो रिकॉर्ड हुआ उसके बोल थे "मैं दुनिया भुला दूंगा तेरी चाहत में"। इस तरह से म्यूज़िक एल्बम की रिकॉर्डिंग शुरू हुई।
महेश भट्ट ने लिखी एल्बम के गानों पर कहानी
जब एल्बम "चाहत" का तीसरा या चौथा गाना रिकॉर्ड हो रहा था, उसी वक़्त निर्देशक महेश भट्ट गुलशन कुमार के ऑफिस पहुंचे। गुलशन कुमार के मन में इच्छा हुई कि एल्बम के गीतों को एक बार महेश भट्ट को सुनाया जाए और उनकी प्रतिक्रिया ली जाए। जब महेश भट्ट को एल्बम के गीत सुनाए गये तो उन्हें गाने बेहद पसंद आए । गाने सुनकर महेश भट्ट बोले "गुलशन जी ये गाने हैं तो बहुत शानदार ,मगर ये किसी भी तरह से एल्बम के नहीं लगते ,इन्हें तो फ़िल्म में होना चाहिए। ये एल्बम अब मेरा हुआ और मैं इन गानों के ऊपर एक फ़िल्म की कहानी लिखूंगा। मैं इन गानों को अपनी फ़िल्म में शामिल करूंगा और तब जाकर इन्हें वो जायज़ मकाम मिलेगा जिसे पाने के लिए ये बने हैं।ये बात महेश भट्ट ने इतने यक़ीन से कही कि गुलशन कुमार तुरंत तैयार हो गये । एल्बम के गानों पर फ़िल्म लिखी गई और उसका नाम रखा गया "आशिक़ी" ।जब सब गाने रिकॉर्ड हो गये तो महेश भट्ट ने गीतकार समीर से फ़िल्म के लिए एक टाइटल गीत लिखने के लिए कहा। समीर ने टाइटल गीत लिखा जिसके बोल थे " साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिए, बस एक सनम चाहिए आशिक़ी के लिए"।
किरदारों को निभाने के लिए नए चेहरों को दिया मौका
महेश भट्ट ने फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए नए चेहरों को लेने का फैसला किया। इस तरह से राहुल रॉय और अनु अग्रवाल को फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला। दीपक तिजोरी ,अनंग देसाई ,रीमा लागू ,अवतार गिल ,टॉम आल्टर ,जावेद खान ,वीरेन्द्र सक्सेना ने फ़िल्म में सहायक अभिनेताओं की भूमिका निभाई।
गुलशन कुमार ने घबराकर रोकी फिल्म की रिलीज
जब फ़िल्म रिलीज़ के लिए तैयार हो चुकी थी, तभी एक बड़ी मुश्किल गुलशन कुमार के सामने आ गई । किसी ने गुलशन कुमार से कह दिया कि ये आशिक़ी के गाने तो किसी पाकिस्तानी ग़ज़ल एल्बम के जैसे हैं। ये बात सुनकर गुलशन कुमार इतने अपसेट हो गये कि उन्होंने "आशिक़ी" के गानों को रिलीज़ करने से मना कर दिया । जब ये बात महेश भट्ट को पता चली तो वह फौरन गुलशन कुमार से मिलने पहुंचे।मिलने पर गुलशन कुमार ने अपने मन की बात महेश भट्ट से कही।पूरी बात सुनकर महेश भट्ट बोले "गुलशन जी ये एल्बम नहीं है ,ये आपकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा ट्रैक है और मैं ये बात दावे के साथ आपको लिख के दे सकता हूँ कि अगर फ़िल्म का संगीत नहीं चला तो मैं फ़िल्में बनाना छोड़ दूंगा"। महेश भट्ट बहुत बड़ी बात कह चुके थे। गुलशन कुमार में तब आत्म विश्वास लौट आया और उन्होंने आशिकी के प्रमोशन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। फिल्म जब रिलीज हुए तो कामयाबी के सारे रिकॉर्ड टूट गए। नदीम श्रवण और कुमार सानू रातों रात स्टार बन गए। अनु अग्रवाल और राहुल रॉय को हिन्दी सिनेमा में विशेष पहचान मिली। गुलशन कुमार पर महेश भट्ट के विश्वास की जीत हुई।