राज कपूर एक बार एक शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली गए हुए थे। शादी की महफिल में जब गीत संगीत का दौर शूरू हुआ तो रविन्द्र जैन ने अपना लिखा एक गीत सुनाना शुरू किया। गीत के बोल थे "एक राधा एक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा"। जब गीत राज कपूर ने सुना तो वह बेहद प्रभावित हुए। राज कपूर ने रविन्द्र जैन से जब गीत के मार्फत बात की तो उन्हें पता चला कि अभी यह गीत किसी फिल्म का हिस्सा नहीं है। राज कपूर ने फौरन रविंद्र जैन से कहा कि यह गीत वह अपनी फिल्म इस्तेमाल करेंगे।
कुछ दिनों के बाद राज कपूर और रविन्द्र जैन की मुलाकात राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर के घर में हुई। राज कपूर ने रविन्द्र जैन से एक बार वही गीत रणधीर कपूर के परिवार को सुनाने के लिए कहा, जो उन्होंने दिल्ली में सुनाया था। रविंद्र जैन ने गीत सुनाया। तब राज कपूर ने रणधीर कपूर से कहा कि वह रविन्द्र जैन के नाम 25000 रूपए का चेक बनाएं। रणधीर कपूर ने चेक बनाकर रविंद्र जैन को दे दिया। इसके बाद रविन्द्र जैन के साथ राज कपूर अपने पुणे स्थित फार्महाउस पर चले गए। एक हफ्ते बाद जब वह लौटे तो उन्होंने बताया कि अगली फिल्म का संगीत तैयार कर लिया गया है। फिल्म का नाम है "राम तेरी गंगा मैली"। राज कपूर ने फिल्म के गानों को ध्यान में रखते हुए फिल्म की कहानी बनाई। इसके बाद उन्होंने बतौर निर्देशक फिल्म का निमार्ण शूरू किया।
फिल्म में मुख्य भूमिका राज कपूर के पुत्र राजीव कपूर ने निभाई। यह फिल्म राजीव कपूर की पहचान बन गई। फिल्म कामायाब रही। फिल्म के गाने हिट थे। मंदाकिनी इस फिल्म से सुर्खियों में आ गईं। लेकिन अफसोस की बात यह रही कि इसके बाद राजीव कपूर को कोई दूसरी सफलता नहीं मिली। इतना ही नहीं फिल्म "राम तेरी गंगा मैली" की कामयाबी का भी सारा श्रेय राज कपूर और मंदाकिनी को ही मिल गया। इस तरह से फिल्म "राम तेरी गंगा मैली" की कामयाबी के बावजूद कपूर खानदान के चिराग तले अंधेरा ही रह गया।