हिन्दी सिनेमा के सफल निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म 'आशिकी ' बनकर तैयार हो गई थी। महेश भट्ट को फिल्म से बड़ी उम्मीदें थीं। फिल्म के निर्माता गुलशन कुमार भी फिल्म को लेकर बड़े उत्साहित थे।
उन्होंने पहली बार इस स्तर पर फिल्म के संगीत निर्माण के लिए मेहनत की थी।
जब फ़िल्म रिलीज़ के लिए तैयार हो चुकी थी, तभी एक बड़ी मुश्किल गुलशन कुमार के सामने आ गई । किसी ने गुलशन कुमार से कह दिया कि ये आशिक़ी के गाने तो किसी पाकिस्तानी ग़ज़ल एल्बम के जैसे हैं। इसलिए इनका कामयाब होना मुश्किल है। न केवल फिल्म फ्लॉप होगी बल्कि पाकिस्तानी गजल जैसे गीतों के कारण फिल्म के संगीत की भी जग हंसाई होगी। ये बात सुनकर गुलशन कुमार इतने अपसेट हो गये कि उन्होंने "आशिक़ी" के गानों को रिलीज़ करने से मना कर दिया ।
जब ये बात महेश भट्ट को पता चली तो वह फौरन गुलशन कुमार से मिलने पहुंचे।मिलने पर गुलशन कुमार ने अपने मन की बात महेश भट्ट से कही।पूरी बात सुनकर महेश भट्ट बोले "गुलशन जी ये एल्बम नहीं है ,ये आपकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा ट्रैक है और मैं ये बात दावे के साथ आपको लिख के दे सकता हूँ कि अगर फ़िल्म का संगीत नहीं चला तो मैं फ़िल्में बनाना छोड़ दूंगा"। महेश भट्ट बहुत बड़ी बात कह चुके थे।
गुलशन कुमार भी आखिर बिजनेस कर रहे थे। उन्होंने महेश भट्ट से बाकायदा कागज पर लिखवाया कि यदि आशिकी फिल्म असफल रही तो वह फिल्म निर्माण प्रक्रिया छोड़ देंगे। जब महेश भट्ट ने यह बात कागज पर लिखी तो गुलशन कुमार भावुक हो गए। उन्होंने उसी कागज पर लिखा कि वह आशिकी का ऐसा प्रमोशन, ऐसी मार्केटिंग करेंगे, जो हिन्दी सिनेमा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई होगी।
गुलशन कुमार में आत्म विश्वास लौट आया।उन्होंने आशिकी के प्रमोशन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। फिल्म जब रिलीज हुई तो कामयाबी के सारे रिकॉर्ड टूट गए। नदीम श्रवण और कुमार सानू रातों रात स्टार बन गए। अनु अग्रवाल और राहुल रॉय को हिन्दी सिनेमा में विशेष पहचान मिली। गुलशन कुमार पर महेश भट्ट के विश्वास की जीत हुई और देखते ही देखते गुलशन कुमार और उनकी कंपनी टी सीरीज म्यूजिक इंडस्ट्री की सरताज बन गई।