अभिजीत भट्टाचार्य बचपन से ही राहुल देव बर्मन के भक्त थे। उनका एक ही सपना था कि वह राहुल देव बर्मन के निर्देशन में गीत गाएं। इसके लिए अभिजीत ने मेहनत की और एक दिन हिम्मत करके मुंबई पहुंच गए। मुंबई पहुंचकर अभिजीत ने बहुत प्रयास किए मगर उन्हें सफ़लता नहीं मिली। सभी संगीतकार अभिजीत को इस तरह देखते जैसे अभिजीत प्रतिभाहीन हों। अभिजीत को मुम्बई में रहने, खाने का संकट पैदा हो गया। चूंकि संगीतकारों का अभिजीत के प्रति रवैया बड़ा खराब था इसलिए अभिजीत ने संगीतकारों से मिलना ही बंद कर दिया। उन्होंने तय कर लिया कि राहुल देव बर्मन के अलावा वह किसी के साथ काम ही नहीं करेंगे।
ऐसा सोचते हुए दो वर्ष बीत गए। इस बीच संगीतकार जगजीत सिंह और रविन्द्र जैन के साथ अभिजीत ने कुछ गीत रिकॉर्ड किए। मगर उनकी कोई पहचान नहीं बनी। लेकिन हर संघर्ष का एक अंत जरुर होता है। जीतोड़ मेहनत और संघर्ष के बाद, अभिजीत की मुलाकात राहुल देव बर्मन से हुई।अभिजीत बहुत ख़ुश हुए। उन्होंने राहुल देव बर्मन को अपने रिकॉर्ड किए गीत सुनाए। गीत सुनकर राहुल देव बर्मन प्रभावित हुए। उन्होंने अभिजीत की तारीफ़ की और उन्हें अपने लिए गाने का मौक़ा दिया। इस मौक़े के बाद राहुल देव बर्मन ने अभिजीत को एक युगल गीत गाने के लिए बुलाया।
अभिजीत रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच गए। उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था कि वह किसके साथ युगल गीत गाने वाले हैं। अभिजीत ने जैसे ही रिकॉर्डिंग रूम के शीशे से अंदर की तरफ़ देखा तो वह स्तब्ध रह गए। भीतर राहुल देव बर्मन के साथ गायिका आशा भोंसले और गायक किशोर कुमार थे। अभिजीत को किशोर कुमार के साथ गीत गाना था। जब किशोर कुमार की नज़र रिकॉर्डिंग रूम से बाहर गई और उन्होंने अभिजीत को देखा तो इशारे से भीतर आने को कहा। अभिजीत डरते हुए रिकॉर्डिंग रूम में दाखिल हुए। उन्होंने किशोर कुमार के पांव छुए। किशोर कुमार, जो कुछ ऊंचाई पर बैठे थे, कुर्सी से उतरे और अभिजीत से रूबरू होते हुए बोले " तुम बहुत सुर में गाते हो, अभी वर्तमान के परिणाम से विचलित मत होना, तुम लंबी रेस के घोड़े हो "। यह सुनकर अभिजीत ख़ुश हो गए। उनका आत्मविश्वास दोगुना हो गया। किशोर कुमार की बात सच साबित हुई और आगे चलकर अभिजीत एक काबिल, लोकप्रिय गायक बने।