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किशोर कुमार: "अल्हड़ मदमस्त अंदाज का ऐसा गायक जिसकी ज़िंदगी एक अबूझ पहेली की तरह रही"

आज आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार की जयंती है। 4 अगस्त 1929 को किशोर कुमार का जन्म खंडवा मध्य प्रदेश...
किशोर कुमार:

आज आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार की जयंती है। 4 अगस्त 1929 को किशोर कुमार का जन्म खंडवा मध्य प्रदेश में हुआ था। उसी खंडवा में, जिससे किशोर कुमार अत्यंत प्रेम करते थे। हिन्दी सिनेमा में किशोर कुमार को सम्पूर्ण गायक की तरह देखा जाता है। किशोर हरफनमौला थे। रोमांटिक, दर्द भरा, कॉमेडी, कव्वाली, योडलिंग, गायन की कोई भी विधा हो, कोई भी प्रकार हो, हर रंग, हर किस्म पर बराबर पकड़ रखते थे किशोर कुमार। 

कुंदन लाल सहगल के भक्त थे किशोर कुमार। छोटी उम्र से ही किशोर केवल सहगल के गीत गाते। किशोर कुमार के पुत्र अमित कुमार बताते हैं कि जब नौ साल की उम्र में किशोर कुमार ने अपने भाई अशोक कुमार से कुंदन लाल सहगल से मिलवाने की ज़िद की तो एक दिन अशोक कुमार उन्हें सहगल से मिलवाने ले गए। किशोर ने सहगल से मिलने पर उनका ही एक गीत हुबहू गाने की कोशिश की। सहगल खुश हुए और अशोक कुमार से बोले “ तुम्हारा भाई अच्छा गाता है, अलबत्ता इसका शरीर झूमता बहुत है।“ किशोर कुमार का यही झूमना, लहकना उनकी पहचान बना। 

 

किशोर कुमार जितने सरल, भोले और बालसुलभ नज़र आते थे, उनकी ज़िंदगी उतनी ही घुमावदार और पेचीदा थी। किशोर कुमार को समझ पाना संभव नहीं था। कौन से पल, किशोर कुमार का कौन सा रंग नजर आएगा, इसका पूर्वाभास किसी को नहीं होता था। दो ध्रुव सरीखे स्वभाव वाले किशोर कुमार का जीवन ऐसे अनेक किस्सों से भरा हुआ है, जब एक पल के लिए चेहरे पर मुस्कान खिलती है और दूसरे ही क्षण आंखें नम भी हो जाती हैं। 

किशोर कुमार को गाने से बेइंतहा मुहब्बत थी। लेकिन उनके इस प्रेम, इस तड़प, इस जुनून को बहुत कम लोग ही समझ पाए। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार स्टार अभिनेता थे। किशोर ने कई बार चाहा कि अशोक कुमार उनके लिए गायन के मौक़े तलाशें। लेकिन इसके ठीक उलट अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर कुमार अभिनेता बनें। अभिनेता बनाने के लिए ही अशोक कुमार ने किशोर कुमार को अपने साथ रखा हुआ था। एक रोज़ अशोक कुमार के दफ्तर अहाते में किशोर सहगल का एक गाना गुनगुना रहे थे और यहीं पहली बार मशहूर संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने किशोर को गाते हुए सुना। खेमचंद प्रकाश किशोर की प्रतिभा को एक क्षण में भांप गए और उन्होंने किशोर कुमार के गायक बनने के सपने को पूरा किया। लेकिन किशोर कुमार हमेशा ही किस्मत वाले नहीं रहे। जहां एक तरफ, एक नजर में खेमचंद प्रकाश ने किशोर की प्रतिभा पहचानी, वहीं दूसरी तरफ नौशाद, सलिल चौधरी, सी रामचंद्र जैसे महान संगीतकारों को किशोर कुमार गायन के लिए कमजोर, अपरिपक्व और कच्चे महसूस हुए। हालांकि बाद में इन सभी ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए किशोर कुमार की प्रतिभा को उचित सम्मान दिया।

 

किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के इकलौते ऐसे गायक रहे, जिनके लिए फ़िल्मी पर्दे पर मोहम्मद रफी, मन्ना डे और हेमंत कुमार जैसे महान गायकों ने प्लेबैक सिंगिंग की। किशोर कुमार सदाबहार अभिनेता देव आनंद से लेकर हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आवाज़ थे। किशोर कुमार गायन क्षेत्र के राजेश खन्ना थे। किशोर कुमार ने जो शोहरत और दौलत देखी, वह उस दौर के किसी भी पुरुष गायक को नसीब नहीं हुई। लेकिन इसके कारण किशोर कुमार को लेकर कई भ्रम भी फैलाए गए, जिनका किशोर कुमार ने कभी खंडन नहीं किया। इसलिए कि कोई भी इंसान एक जैसा स्वभाव हर परिस्थिति में नहीं रख सकता। किशोर कुमार को लेकर यह बात मशहूर थी कि वो अव्वल दर्जे के कंजूस थे। उन्हें प्राण और सम्मान से अधिक प्रिय थे पैसे। कोई उनके पैसे दबाकर बैठ जाता तो वह उसको काट खाने से भी पीछे नहीं हटते। लेकिन यही किशोर कुमार इतने सहयोगी और उदार भी दिखते हैं कि आंखें नम हो जाती हैं। गीतकार अंजान के सुपुत्र समीर बताते हैं कि बुरे दौर में किशोर कुमार ने उनके पिता की फिल्मों में मुफ्त में गाने भी गाए और अपनी फ़िल्मों में दोगुनी कीमत देकर गीत भी लिखवाए। पत्रकार प्रितिश नंदी को दिए इंटरव्यू में किशोर कुमार ने बताया कि मशहूर फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय जब ‘पथेर पांचाली’ बना रहे थे तो उन्होंने 5000 रुपये देकर उनकी मदद की थी। इसके साथ ही सत्यजीत राय की फिल्म‘चारुलता’ के लिए भी किशोर कुमार ने दो गीत गाए थे और उसके लिए कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था। यह किशोर कुमार का मानवीय पक्ष था, जिससे जमाना अंजान रहा। 

इसी तरह किशोर कुमार को लेकर कहा जाता रहा कि किशोर कुमार सनकी है, अक्खड़ मिज़ाज के थे। उनमें गुरुर और काइंयापन था। असमानता, झूठ और चालाकी से भरा हुआ समाज एक साफ दिल इंसान का ऐसे ही मूल्यांकन करता है। मशहूर गायक शैलेंद्र सिंह याद करते हैं कि एक रोज किसी फैन ने जब किशोर कुमार से ऑटोग्राफ़ देने का अनुरोध किया तो, किशोर ने रफी की तरफ इशारा करते हुए कहा “अरे मेरा ऑटोग्राफ क्या लेते हो बंधु, संगीत तो उधर है।"ऐसे कई स्टेज शो रहे, जिसमेें रफी साहब और किशोर कुमार ने मंच साझा किया। तब अक्सर किशोर कहते “मेरे पास रफ़ी साहब जैसी आवाज तो नहीं है पर फिर भी मैं उनके कुछ गाने पेश करना चाहूँगा“। इतनी बड़ी बात कहने का जिगर कोई संगदिल तो नहीं रख सकता है। 

 

प्रेम के भूखे थे किशोर कुमार। किशोर कुमार ने सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन से अगाध प्रेम किया। बर्मन दा और पंचम भी किशोर को अपने परिवार का सदस्य मानते थे। किशोर कुमार का रिश्ता महान सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर से भी बहुत गहरा था। वह लता मंगेशकर को रिकॉर्डिंग के दौरान चुटकुले सुनाकर हंसाते तो कभी अपनी दिल छू लेने वाली बातों से उदास भी कर देते थे। किशोर कुमार इस भीड़ वाली दुनिया में ख़ुद को अकेला पाते थे। इसलिए कई बार चलते बैठते खुद से ही बातें करते थे। पेड़, पौधे उनके मित्र थे और मनुष्य उनके लिए अजनबी। उनके मन तक शायद कोई ऐसा पहुंच ही नहीं पाया, जिससे वह अपने अस्तित्व को साझा कर सकें। प्रेम और साथ पाने की कोशिश में किशोर कुमार ने 4 शादियां की लेकिन उनके हाथ प्रेम की दौलत से वंचित ही रहे। मायानगरी में जीवन के तमाम उतार चढ़ाव देखने वाले किशोर कुमार बंबई के बारे में कहते “ इस अहमक, मित्रविहीन शहर में कौन रह सकता है, जहां हर आदमी हर वक्त आपका शोषण करना चाहता है? जहां कोई भरोसे के लायक नहीं, जहां सब चूहादौड़ में लगे हुए हैं, बेहतर है कि मैं सब कुछ छोड़कर खंडवा चला जाऊं।“यह किशोर कुमार का ऐसा दर्द था, ऐसी खीझ थी, जिसे सुनने और समझने का प्रयास किसी ने नहीं किया। उल्टा दुनिया ने उन्हें पागल,लालची, सनकी और हुज्जती घोषित कर दिया। लेकिन इससे किशोर कुमार की शख्सियत को कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी आवाज और उनका किरदार तो कालजयी है, जो अनंत काल तक नफरत करने वालों के सीने में प्यार भरता रहेगा। 

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