मधुर भंडारकर की आने वाली फिल्म इंदु सरकार के ट्रेलर लॉन्च होने के तीन दिन बाद भी अभूतपूर्व शांति छाई हुई है। पता नहीं कैसे ‘भारत की एक बेटी ने इस देश को बंदी बनाया हुआ है। अब तुम इसे आजाद कराने वाली बेटी बनो’ जैसा संवाद सुनने के बाद भी ‘हंगामा सेना’ आश्चर्यजनक रूप से गुम है। क्या इसलिए कि फिल्म में इस संवाद को ‘राष्ट्रवादी’ अभिनेता अनुपम खेर बोल रहे हैं। नील नितीन मुकेश संजय गांधी के रोल में बमुश्किल पहचान में आ रहे हैं। कीर्ति कुल्हारी पिंक के बाद दूसरी बार हक के लिए लड़ने वाली महिला की भूमिका में हैं।
इंदु सरकार के ट्रेलर के पहले ही सीन में संवाद सुनाई देता है, ‘इस देश में अब गांधी के मायने बदल गए हैं।’ फिल्म सन 1975 में लगाई गई इमरजेंसी पर आधारित है। इंदिरा गांधी और उनके छोटे बेटे संजय गांधी के इर्द-गिर्द घूमती इस कहानी में कई जगह पर सीधे प्रहार किया गया है। सबसे मजेदार तो यह है कि खुद से ही फिल्मों के दृश्यों, संवादों पर संज्ञान लेने वाले फिल्म प्रमाणन बोर्ड न संवादों पर एतराज है, न दृश्यों पर न किरदारों पर। जबकि निर्देशक मधुर भंडारकर ने सीधे-सीधे इंदिरा गांधी और संजय गांधी के एक फोटो को ठीक उसी अंदाज में इस्तेमाल किया है। बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने एक अखबार से बातचीत में कहा, इंदु सरकार में किसी का भी नाम नहीं लिया गया है। यह फिल्म तो लोकतंत्र पर लगे स्याह धब्बे के बारे में बताती है। इस फिल्म के लिए किसी से भी नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने के जरूरत नहीं है। क्योंकि इंदु सरकार फिल्म में किसी का भी नाम नहीं लिया गया है। सिर्फ घटनाओं और किरदारों के एक जैसा होने के कारण ऐसा लग रहा है।
प्रमाणन बोर्ड की यह दोहरी नीति बहुतों की समझ से बाहर है लेकिन मनमोहन सिंह पर फिल्म बनाने वाले इस वजह से बहुत राहत महसूस कर रहे हैं। यदि इंदु सरकार का रीलिज तक कोई पंगा नहीं हुआ तो फिर मनमोहन सिंह पर बनने वाली फिल्म जिसमें अनुपम खेर मनमोहन की भूमिका निभाएंगे, को कम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।