बॉलीवुड अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास ने गुरुवार को सआदत हसन मंटो पर अपनी आगामी फिल्म को लेकर कहा कि यह पारंपरिक बायोपिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में विभाजन से पहले और बाद के लेखक की जिंदगी के उन चार वर्षों को बयां किया गया है जो काफी उथल-पुथल भरे रहे। इसलिए ये पारंपरिक बायोपिक नहीं।
नंदिता ने कहा कि फीचर फिल्म एक डॉक्यूमेंट्री नहीं है। इसमें मंटो के बारे में कुछ ऐसी बातें होंगी जो कुछ ने शायद सुनी होंगी और कुछ ने नहीं। उन्होंने कोलकाता में टाटा स्टील कोलकाता लिटरेरी मीट के एक सत्र के दौरान कहा, ‘मैंने वर्ष 1946 और 1950 के बीच के काल की कहानी दिखाई है जो मंटो के साथ-साथ दोनों देशों के लिए उथल पुथल वाला दौरा था।’
नंदिता ने कहा कि यह फिल्म लोगों के बारे में है और इस बारे में भी है कि बदतर स्थितियों में वे मानवता के प्रति किस तरह का नजरिया रखते हैं। इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मंटो की भूमिका निभाई है।
मंटो के किरदार के लिए सिद्दीकी के चयन के पीछे की वजह के बारे में पूछे जाने पर नंदिता ने कहा, ‘मैं ऐसा अभिनेता चाहती थी, जो एक समय काफी अक्खड़ और स्वार्थी हो सके तथा दूसरी तरफ अति संवेदनशील दिख सके, जो आंखों के जरिए कई तरह के भावों को व्यक्त कर सकें।’ उन्होंने कहा कि हमने 10 साल पहले फिराक में एक-साथ काम किया था और उनमें किसी किरदार में ढलने की गजब क्षमता है।
वहीं, सिद्दीकी ने कहा कि वह मंटो के बारे में पढ़कर उनकी सोच की गहराई तक पहुंचे तथा उनके व्यवहार में अपने आप को ढालने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मैं आधुनिक गैजेट से दूर रहा और मंटो के बारे में चीजें ढूंढने पर समय बिताया। चूंकि लेखक के बारे में कोई वीडियो उपलब्ध नहीं थी तो मैं थोड़ी छूट ले सका। फिल्म की तैयारी में काफी कुछ करना पड़ा लेकिन निर्देशक ने सब अच्छी तरह किया।
बता दें कि मंटो भारत में ब्रिटिश शासनकाल में जन्में प्रख्यात उर्दू लेखक और नाटककार थे। वह वर्ष 1947 में आजादी के बाद विभाजन के बारे में लिखी गई अपनी कहानियों को लेकर जाने जाते हैं।