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नया टीवी चैनल एंड

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड 'एंड टीवी’ नाम से एक नया चैनल ले आए हैं। जी ने ही जिंदगी चैनल लांच किया था जो टेलीविजन की दुनिया में बहुत सफल हुआ।
नया टीवी चैनल एंड

दर्शक-दर्शक यह बता, सबसे अच्छा चैनल कौन। लेकिन सही मायनों में तो शायद दर्शक भी न बता सकें कि सबसे अच्छा चैनल कौन सा है। चैनलों की भीड़ में हर परिवार के सदस्य का अपना चैनल और उस चैनल में भी अपना पसंदीदा धारावाहिक या कार्यक्रम है। टेलीविजन पर अब क्या देखें का तो प्रश्न ही नहीं उठता। क्या न देखें या बच्चों को क्या न देखने दें पर ही सारा जोर है। स्टार प्लस, जी टीवी, कलर्स, जिंदगी, बिंदास, स्टार उत्सव, सोनी और भी कई चैनल हैं जिनमें सास-बहू मार्का से लेकर सामाजिक विषयों तक के धारावाहिक मौजूद हैं। सालों पहले शुरू हुए सुरसा के मुंह या द्रोपदी के चीर की तरह खिंचने वाले इन धारावाहिकों के दर्शकों की भी कोई कमी नहीं है। बालिका वधु, दीया और बाती, साथ निभाना साथिया, सीआईडी, तारक मेहता क उल्टा चश्मा जैसे बहुत से धारावाहिक हैं जो पता नहीं कितने सालों से चल रहा है और अब न इन धारावाहिकों की कहानी में जान है न खुद निर्माता-निर्देशकों को पता है कि क्या दिखाया जाना है।

अपना नाम न छापने की शर्त पर एक नामी टीवी चैनल के लिए धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले एक लेखक ने आउटलुट को बताया, 'जब हम सुबह आते हैं तो निर्माता या जहां कहीं से भी आदेश आना होता है बताया जाता है कि आज हमें क्या लिखना है। कल अगर धारावाहिक में कोई पार्टी दिखाई गई थी तो कोई जरूरी नहीं कि आज उससे संबंधित बात ही दिखाई जाएगी। दुर्घटना, बच्चों पर मुसीबत, जो किरदार हिट जा रहा हो, उसकी मृत्यु, नए तरह के दांव-पेंच जैसे कई विषय हैं जो धारावाहिकों के पसंदीदा विषय हैं। हमें इसी के आसपास लिखना पड़ता है चाहे हम इससे बेहतर सोच सकते हों।’

यह टीआरपी का दबाव है, जो कई बार पटकथा लेखकों को पूरी आजादी नहीं देता। जैसे ही किसी धारावाहिक की ी टीआरपी गिरती है, धारावाहिक में उछाल लाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगते हैं। जब धारावाहिकों में ऐसी मारा-मारी चल रही हो तब क्या देखें क्या देखें के प्रश्न से दर्शक नहीं जूझते। इतने विकल्पों के बीच एक और नया चैनल शुरू हो रहा है जो इस वादे के साथ आ रहा है कि यह विशुद्ध मनोरंजन ही परोसेगा। 'एंड टीवी’ नाम से शुरू हो रहे इस चैनल में भी एक क्विज शो, एक एतिहासिक पृष्ठभूमि पर बना शो, एक सामाजिक समस्या पर बना शो शामिल है। अभी तो इस पर दर्शकों की नजरें इनायत हो रही हैं। पर यदि यह नयापन चमक बरकरार रखने के लिए लगातार खुद को न मांजता रहा तो फिर कुछ दिनों बाद एक नया चैनल हो सकता है टेलीविजन पर अवतरित हो जाए।

नए चैनलों को शुरू करना इतना आसान भी नहीं होता। एक बड़ी टीम काम करती है। कई प्रोडक्शन हाउस मिल कर धारावाहिक बनाते हैं। कई तरह की सामग्री के लिए तरह-तरह के प्रपोजल पढऩे पड़ते हैं और फिर बाजार में क्या चल सकता है किस पर टीआरपी मिल पाएगी उस हिसाब से धारावाहिकों निर्माण शुरू होता है। अखबार, रेडियो, टीवी पर आने वाली तमाम खबरें सब माध्यम खंगाल कर एक मुकम्मल धारावाहिक बन पाता है। लेकिन अब सामाजिक और पारिवारिक धारावाहिकों में जी के ही एक चैनल जिंदगी ने इतनी उछाल भरी है कि बाकी टेलीविजन चैनलों को खुद की समीक्षा करनी पड़ रही है।

जिंदगी पर आने वाले धारावाहिकों की कहानियां 80 के दशक के दूरदर्शन के धारावाहिकों की याद दिलाते हैं। यह उन भारतीय भूले-बिसरे टीवी के दिनों की याद दिलाते हैं जो लोगों के मन में हैं और वह उन्हें फिर देखना चाहते हैं। यही वजह है कि जिंदगी चैनल का बहुत प्रचार प्रसार न होने के बावजूद इसके दर्शकों का एक बड़ा वर्ग खुद ब खुद तैयार हो गया। एंड टीवी चैनल के बिजनेस हेड राजेश अय्यर कहते हैं, 'धीमे-धीमे हमारा चैनल भी रफ्तार पकड़ेगा। अभी जिस तरह से दर्शक इस चैनल के कार्यक्रमों को हाथों-हाथ ले रहे हैं उसी से साबित हो रहा है कि कार्यक्रमों में पकड़ है। हमने बहुत शोध किया कि किस तरह के कार्यक्रम दर्शकों को पसंद आते हैं।’ कितना भी शोध किया जाए यह तो तय है कि जो कहानियां मन को छूती हैं वहीं धारावाहिक दर्शकों के बीच पैठ बना पाते हैं।

इतना तो तय है कि एंड टीवी के धारावाहिक गंगा और रजिया सुल्तान को दर्शकों की सराहना मिल रही है। रजिया सुल्तान में अब तक ग्लैमर और टीआरपी के लिए छौंक नहीं लगाया गया है। एंड टीवी कितने दिन नयापन रख पाएगा, यह चैनल भी धूमधड़ाके से शुरू हुए दूसरे चैनलों की तरह खो न जाए। यह तो वक्त ही बताएगा कि एंड को दर्शक कितना और-और कहते हैं।

नए टीवी चैनल एंड टीवी के बिजनेस हेड राजेश अय्यर से बातचीत

टेलीविजन पर मनोरंजन चैनलों की बाढ़ है। आपके चैनल में नया क्या है?

यह बहुत ही समकालीन, नए जमाने का और कई मायनों में बहुत नया चैनल है। हमने अपने चैनल की सामग्री इस तरह बनाई है कि यह नए जामाने के दर्शकों को मूल्यों के साथ मनोरंजन दे रहे हैं। एक शहर पर आधारित कहानी, बेगूसराय में दर्शक खुद देख रहे हैं कि यह कई मायनों में अनूठी है। यह सिर्फ कहानी नहीं है, यह अनुभव है। गेम शो है, इंडिया पूछेगा-सबसे शाणा कौन की लोकप्रियता ही बता रही है कि यह एकदम दूसरी तरह का गेम शो है। इसके सबसे ज्यादा दर्शक ही इसलिए हैं क्योंकि इसमें पूछने वाला और भाग लेने वाला दोनों ही आम आदमी हैं। इस गेम शो में मनोरंजक तरीके से किस व्यक्ति के पास कितनी सहज बुद्धि है इसका पता लगाया जाता है। यह शो दर्शकों को खूब हंसा रहा है। उन्हें अपने मूल्यों से परिचित करा रहा है।

चैनल की यूएसपी क्या है?

यह लोगों का चैनल है। यह अलग है भी और नहीं भी। अलग होने से मतलब यह नहीं है कि हम ऐसी सामग्री दिखा रहे हैं जिससे दर्शक जुड़ न पाएं। मनोरंजन और अलग होने के बीच बहुत पतली रेखा होती है। हमारी पहली प्राथमिकता दर्शकों को जोड़ने की है। सबसे बड़ा सवाल तो यही होता है कि हम किस तरह बाजार में अपने लिए जगह सुनिश्चित करते हैं। हम सिर्फ दिखने के लिए अलग होना नहीं चाहते। हमारे कार्यक्रमों, धारावाहिकों• में दर्शक  यह बात देखेंगे। हमारे पास कार्यक्रमों और धारावाहिकों की विविधता है। चाहे वह सामाजिक विषय हों या विशुद्ध मनोरंजन। ब्लॉक बस्टर फिल्मों का खजाना भी हमारे पास है। यह चैनल हर 'एंड’डियन (भारतीय) का चैनल है।

एंड चैनल की जरूरत क्यों?

सभी को चाहिए और ज्यादा। हम 'एंड’ ब्रांड को स्थापित करने के प्रयास में हैं। हम ऐसा नेटवर्क चाहते हैं जो समय के साथ लोगों के जहन में बस जाए। यह चैनल एक गुलदस्ते की तरह है, हर व्यक्ति के लिए कुछ खास। यह पूरे परिवार का चैनल होगा आने वाले दिनों में।   

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