नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा, आशा पारेख पद्म भूषण पाने की उम्मीद में मुंबई में मेरे घर पहुंच गई थीं। बिल्डिंग की लिफ्ट खराब थी, लेकिन इसके बाद भी वह 12 मंजिल चढ़कर पद्म भूषण मांगने के लिए आईं। बड़ा खराब लगा। आशा पारेख ने कहा कि उन्हें पद्मश्री मिला है, लेकिन सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए पद्म भूषण सम्मान दिया जाना चाहिए।
यह किस्सा सुनाते हुए गडकरी ने कहा कि पद्म पुरस्कारों के लिए होने वाली सिफारिशें नेताओं के लिए सिरदर्द बन गई हैं। नेता पद्म पुरस्कारों के लिए लॉबिंग से परेशान हो चुके हैं।हालांकि, गडकरी के इन दावों को आशा पारेख ने नकार दिया है। एक टीवी चैनल से पारेख ने कहा कि उन्होंने कभी कोई लॉबिंग नहीं की थी। इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं कहना।
गडकरी के इस सनसनीखेज बयान से पद्म पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। गडकरी शनिवार को नागपुर में सेवा सदन संस्था की ओर से दिए जानेवाले रमाबाई रानाडे पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पुरस्कारों की वजह से अब सिरदर्द होने लगा है। गौरतलब है कि आशा पारेख को 1992 में ही पद्मश्री मिल गया था। उन्हें हिंदी सिनेमा की सफलतम अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है और 2002 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है।