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'फुल्लू' को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने पर, ट्विटर यूजर्स ने सेंसर बोर्ड पर खड़े किए सवाल

अपनी फिल्मों को लेकर अक्सर सेंसर बोर्ड को सुर्खियों में रखने वाले फिल्म निर्माता प्रकाश झा की एक और फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट थमा दिया है। पिछले दिनों सेंसर बोर्ड ने प्रकाश झा की फिल्मम 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को भारत में बैन करने का फैसला किया था।
'फुल्लू' को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने पर, ट्विटर यूजर्स ने सेंसर बोर्ड पर खड़े किए सवाल

इस बार सेंसेर बोर्ड ने प्रकाश झा की फिल्म 'फुल्‍लू' को 'ए' सर्टिफिकेट दे दिया है। इस फैसले के बाद बोर्ड को सोशल मीडिया पर घेर लिया गया है। इस फिल्‍म को 'ए' सर्टिफिकेट दिए जाने पर सेंसर बोर्ड की आलोचना हो रही है। दरअसल, ट्विटर यूजर्स ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि आखिर किस आधार पर इस फिल्‍म को 'ए' सर्टिफिकेट दिया गया है।

 


फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिए जाने पर एक यूजर ने ट्वीट कर लिखा कि पीरीयड्स से जुड़ी जानकारियां किशोरियों के लिए ही सबसे ज्‍यादा है ऐसे में इस फिल्‍म को 'ए' सर्टिफिकेट क्‍यों दिया गया।

 


वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट क्यों दिया, जबकि यह एक सूचना और जागरुक करने वाली फिल्म है जिसे स्कूल की छात्राओं को जरुर देखनी चाहिए।  

 



गौरतलब है कि फिल्‍म में शारिब अली ने 'फुल्‍लू' नामक लड़के का किरदार निभाया है, जिसे शहर जाकर ही सैनेटरी नै‍पकीन्‍स के बारे में पता चलता है। इसके बाद वो अपने गांव की महिलाओं के लिए उचित दाम पर सैनेटरी नैपकिन बनाने का निर्णय लेता है। इस निर्णय पर उसे गांव में लोगों की कई तरह की बातें सुननी पड़ती है। फिल्‍म को स्‍कूल की किशोरियों और महिलाओं को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन फिल्‍म को 'ए' सर्टिफिकेट मिलने से अब स्‍कूल की लड़कियां इस फिल्‍म को देख ही नहीं पाएंगी।

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