हिन्दी सिनेमा तरह तरह के अनुभवों से भरा हुआ है। यह ऐसे अनुभव हैं, जो आपको आश्चर्यचकित करने का माद्दा रखते हैं। कुछ ऐसे ही अनुभव हम आपके साथ साझा कर रहे हैं।
विलेन किरदार निभाने वाले प्रेम चोपड़ा खुद सांप से बहुत डरते हैं। बचपन से ही उनके भीतर सांप का डर बैठ गया था। एक बार एक फिल्म में उन्हें सांप को पकड़ना था। यह फिल्म सांप पर ही आधारित थी। फिल्म में सांप के साथ प्रेम चोपड़ा के कई दृश्य फिल्माए जाने थे। जब सीन शूट होने की बारी आई तो प्रेम चोपड़ा डर गए। उनका शरीर ठंडा पड़ गया। प्रेम चोपड़ा फिल्म छोड़कर जाने लगे।
जब फिल्म निर्देशक ने प्रेम चोपड़ा को समझाया कि सांप में जहर नहीं है तो भी प्रेम चोपड़ा कुछ सुनने को तैयार थे। वह बेहद घबरा गए थे। तब निर्देशक और निर्माता ने तय किया कि नकली सांप के साथ शूटिंग की जाएगी। प्रेम चोपड़ा को यह विकल्प फिर भी ठीक लगा। इस तरह से उन्होंने नकली सांप के साथ फिल्म की शूटिंग पूरी की।
इसी तरह फिल्म दोस्ताना में चाबुक से पीटने का दृश्य फिल्माते हुए प्रेम चोपड़ा को बहुत डर लगता था। उन्हें डर लगता कि कहीं असलियत में अभिनेता अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा को चाबुक से चोट न लग जाए।वह हर सीन के बाद अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा से पूछते कि कहीं उन्हें कोई चोट तो नहीं लगी। इस डर का एक कारण यह भी था कि फिल्म के अंत में विलेन की उसी चाबुक से पिटाई होनी थी। इसलिए यदि अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा को प्रेम चोपड़ा की चाबुक चोट देती तो फिल्म के अंत में वे विलेन का किरदार निभा रहे प्रेम चोपड़ा से ज़रूर बदला लेते। इसलिए प्रेम चोपड़ा चाबुक वाला सीन शूट करते हुए डरे हुए से रहते थे।
यह घटनाएं न केवल एक कलाकार के मानवीय पक्ष को दिखाती हैं बल्कि उस मनोवैज्ञानिक पक्ष को भी उजागर करती हैं कि फिल्मों में क्रूर, हिंसक, बर्बर नजर आने वाला इंसान भी किन्हीं चीजों से भयभीत होता है और उसके अंदर भी संवेदनशील हृदय है।वह केवल स्क्रीन पर अपना काम कर रहा है। स्क्रीन से उसके बारे में कोई धारणा बना लेना उचित नहीं है।