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सचिन देव बर्मन की जयंती पर विशेष प्रसंग

कोई भी इंसान यदि महान बनता है तो उसके भीतर की इंसानियत, उसूल, नेकी ही उसे महानता प्रदान करती है। हिन्दी...
सचिन देव बर्मन की जयंती पर विशेष प्रसंग

कोई भी इंसान यदि महान बनता है तो उसके भीतर की इंसानियत, उसूल, नेकी ही उसे महानता प्रदान करती है। हिन्दी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद ने अपनी जिंदगी में जो शोहरत, इज्जत, मुहब्बत कमाई, उसका कोई सानी नहीं है। हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े कलाकारों में देव आनंद का नाम लिया जाता है। उनसे अधिक खूबसूरत, उनसे अधिक प्रतिभावान कलाकार हिन्दी सिनेमा में हुए हैं मगर जो अदा, जो अंदाज देव आनंद का था, वह किसी में नहीं दिखाई दिया। स्टार, अभिनेता तो हिन्दी सिनेमा में कई हुए मगर देव आनंद एक ही हुआ। यह ताकत, यह खूबी, यह असर था देव आनंद का। मगर देव आनंद यूं ही महान नहीं बने।उनके अंदर का प्रेम, उनके भीतर की करुणा, उनकी अच्छाई, ही उनकी महानता का आधार बनी। देव आनंद के जीवन में ऐसे कई प्रसंग दिखाई देते हैं, जब देव आनंद एक संवेदनशील मनुष्य के रुप में दिखाई पड़ते हैं। 

 

 

 

साठ के दशक की बात है। देव आनंद अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म "गाइड" बना रहे थे। गीत लेखन का कार्य गीतकार शैलेंद्र एवं संगीत निर्देशन का कार्य सचिन देव बर्मन के जिम्मे था। देव आनंद की फिल्मों का गीत संगीत जबरदस्त होता था। उनके अभिनय में फिल्म का संगीत सहायक होता था। संगीत से ही देव आनंद की फिल्मों का मूड सेट होता था। सचिन देव बर्मन पूरे समर्पण से गाइड का संगीत बना रहे थे। लेकिन तभी एक दुर्घटना घट गई।

 

 

सचिन देव बर्मन बहुत बीमार पड़ गये। इलाज किया गया मगर बहुत समय तक सचिन देव बर्मन की तबीयत में सुधार नहीं आया। इधर सचिन देव बर्मन बीमार थे, उधर देव आनंद की फिल्म का काम रुका हुआ था। सचिन देव बर्मन जानते थे कि देव आनंद अपनी फिल्मों को लेकर जुनून की हद तक दीवानगी रखते थे।फिर फिल्म में देरी का कैसा प्रभाव देव आनंद पर पड़ रहा होगा, यह सोचकर सचिन देव बर्मन असहज महसूस करने लगे। 

 

जब सचिन देव बर्मन को अपनी तबीयत में सुधार नहीं दिखाई दिया तो उन्होंने देव आनंद से गुज़ारिश की कि वो किसी और संगीतकार के साथ फ़िल्म का काम शुरु कर लें। कोई दूसरा फिल्मकार होता तो इस बात को मान लेता। आखिर उसका समय और पैसा बर्बाद हो रहा था। मगर देव आनन्द ने ऐसा करने से मना कर दिया। देव आनन्द संगीतकार सचिन देव बर्मन के संगीत के जादू को जानते थे। इसलिए उन्होंने सचिन देव बर्मन से कहा कि वह उनके ठीक होने का इंतज़ार करेंगे। जब तक सचिन देव बर्मन पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं होंगे, गाइड का संगीत निर्माण नहीं होगा। इस बात से सचिन देव बर्मन बेहद भावुक हो गए। खैर समय बीता और कुछ वक्त बाद सचिन देव बर्मन स्वस्थ हो गये। तब उन्होंने पूरी ऊर्जा के साथ वापसी की और फ़िल्म का पहला गीत "गाता रहे मेरा दिल रिकॉर्ड किया। संगीत निर्माण की प्रक्रिया में सचिन देव बर्मन का साथ उनके पुत्र और महान संगीतकार आर.डी बर्मन ने दिया। इसी तरह फिल्म का गीत "आज फिर जीने की तमन्ना है" और "तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं" रिकॉर्ड किया गया। गीत बनते हुए ही सचिन देव बर्मन और देव आनंद को महसूस हो रहा था कि फिल्म का संगीत जरूर कामयाबी हासिल करेगा। दोनो का आंकलन सही साबित हुआ। फिल्म गाइड रिलीज हुई और इसका संगीत खूब पसंद किया गया। फ़िल्म के दो गीत "वहां कौन है तेरा मुसाफ़िर" और "अल्लाह मेघ दे पानी दे" सचिन देव बर्मन ने गाए। इस तरह देव आनंद ने साबित किया कि रिश्ते और व्यवसाय में समन्वय स्थापित कर के भी काम किया जा सकता है। 

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