जेडी नाम कुछ अजीब सा नहीं है?
जेडी यानी जय द्विवेदी। पत्रकार जय द्विवेदी जो ‘जेडी’ यानी ‘जर्नलिज्म डिफाईंड’ मैगजीन में काम करता है। यह जय द्विवेदी की पत्रकारिता की यात्रा है। वह लखनऊ में हिंदी के एक आम पत्रकार से दिल्ली का एक ताकतवर पत्रकार जेडी बनता है और बाद में अपने मालिकों, नेताओं और दूसरे लोगों के हाथों की कठपुतली हो जाता है।
इसमें खास क्या रहेगा?
असल में इस कहानी के जरिए हम मीडिया जगत की उन बातों को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं जो आमतौर पर सामने नहीं आ पातीं। पत्रकार कैसे दूसरों के हाथों में चले जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता। यह फिल्म एक प्रश्नचिन्ह है मीडिया के उन कथित बड़े लोगों के लिए। वे अपने गिरेबान में झांके और बताएं क्या वह एक भी खबर बिना दबाव के कर सकते हैं?
फोटो-जर्नलिस्ट से फिल्मकार बनने का विचार कैसे आया?
मुझे कैमरे से खेलना, उससे कुछ कहना अच्छा लगता रहा है। फिर धीरे-धीरे यह कहानी जेहन में आई और सोचा कि एक छोटी फिल्म बनाते हैं लेकिन बात बनती चली गई, लोग जुड़ते चले गए और देखते-देखते यह एक बड़ी फिल्म बन गई।
‘जेडी’ के कलाकारों के बारे में बताएं?
मुख्य भूमिका में ललित बिष्ट हैं, उनके साथ वेदिता प्रताप सिंह हैं जो कई फिल्में कर चुकी हैं। साथ में अमन वर्मा, गोविंद नामदेव, रीना चरानिया आदि हैं। इनके अलावा राजनेता अमर सिंह पहली बार एक फिल्मी किरदार निभा रहे हैं, टाडा कोर्ट के जज रहे पीडी कोडे जी भी एक अहम भूमिका में हैं।
क्या उम्मीदें हैं इस फिल्म से?
उम्मीदें यही हैं कि इससे दर्शकों में अच्छा मैसेज जाएगा और मनोरंजन के साथ जाएगा। इस फिल्म में एक्शन या रोमांस नहीं है लेकिन सोशल मैसेज है। इतना तो तय है कि दर्शकों को इसे देख कर बोरियत नहीं होगी।