बात उस समय की है, जब हिन्दी सिनेमा के मशहूर निर्देशक डेविड धवन अपनी फिल्म "राजा बाबू" का निर्माण कर रहे थे। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए डेविड धवन ने गोविंदा और करिश्मा कपूर को साइन किया था। गोविंदा और करिश्मा कपूर डेविड धवन के पसंदीदा कलाकार थे। इसी के साथ फिल्म "राजा बाबू" में सहायक भूमिका निभाने के लिए कादर खान, अरुणा ईरानी, गुलशन ग्रोवर, प्रेम चोपड़ा को भी साइन किया गया। हिन्दी सिनेमा के सफल अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक से डेविड धवन की अच्छी और गहरी दोस्ती थी। इसी दोस्ती के नाते डेविड धवन ने सतीश कौशिक को अपनी फिल्म में "नंदू" का किरदार ऑफर किया। नंदू का किरदार फिल्म में महत्वपूर्ण था। डेविड धवन चाहते थे कि एक अच्छा अभिनेता इस किरदार को निभाए। उन्हें सतीश कौशिक की अभिनय क्षमता का यकीन था। इसलिए उन्होंने इस किरदार के लिए सतीश कौशिक को अप्रोच किया।
सतीश कौशिक उन दिनों जीवन के बुरे दौर से गुजर रहे थे। बतौर निर्देशक उनकी महत्वाकांक्षी फिल्म "रूप की रानी चोरों का राजा" बुरी तरह असफल रही थी। जिस तरह से इस फिल्म का निमार्ण किया गया था, जो प्रीमियर और प्रमोशन हुए थे, उसके बाद फिल्म का फ्लॉप होना सतीश कौशिक के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। स्थिति इतनी खराब थी कि सतीश कौशिक आत्महत्या तक करने की सोच रहे थे। उनका आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया था। जब डेविड धवन ने उन्हें "राजा बाबू" का ऑफर दिया तो उनका मन भावुक हो गया। डेविड धवन की फिल्म "आंखें" और सतीश कौशिक की "रूप की रानी चोरों का राजा" एक साथ रिलीज हुई थी। सतीश कौशिक की फिल्म की जबरदस्त चर्चा थी। लेकिन रिलीज होने पर सतीश कौशिक की फिल्म फ्लॉप साबित हुई और डेविड धवन ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए आयाम स्थापित किए। उनकी फिल्म "आंखें" सुपरहिट साबित हुई। चंकी पांडे और गोविंदा शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गए। सतीश कौशिक को अपने दोस्त डेविड धवन की यह बात छू गई कि फ्लॉप होने पर भी वह उन्हें फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका दे रहा था। सतीश कौशिक ने फिल्म साइन कर ली और नंदू का किरदार निभाने का फैसला किया।
जब फिल्म के किरदारों का फोटोशूट करवाया गया तो सतीश कौशिक नर्वस हो गए। नंदू के किरदार की कॉस्ट्यूम और लुक से सतीश कौशिक असहज महसूस करने लगे। सतीश कौशिक को ऐसा महसूस होने लगा कि यदि वह नाड़े वाले कच्छे और चार्ली चैपलिन लुक में नजर आएंगे तो पब्लिक को लगेगा कि फिल्म "रूप की रानी" फ्लॉप होने के बाद, उनका आत्मविश्वास टूट गया है। सतीश कौशिक को जब डेविड धवन ने परेशान देखा तो उनसे परेशानी का कारण पूछा। सतीश कौशिक ने डेविड धवन को अपने मन की बात कह सुनाई। डेविड धवन अच्छी तरह से सतीश कौशिक की परेशानी समझ गए। उन्होंने सतीश कौशिक को भरोसा दिलाया और उन्हें निश्चिंत रहने के लिए कहा। उसी समय डेविड धवन अपनी एक और फिल्म प्लान कर रहे थे। फिल्म का नाम था "साजन चले ससुराल"। इस फिल्म में भी गोविंदा, कादर खान, करिश्मा कपूर मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में शक्ति कपूर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। सतीश कौशिक की दुविधा को समझते हुए डेविड धवन ने यह फैसला लिया कि सतीश कौशिक फिल्म "साजन चले ससुराल" में दक्षिण भारतीय किरदार "मुत्थु स्वामी" का किरदार निभाएंगे, जबकि शक्ति कपूर साजन चले ससुराल की जगह, "राजा बाबू" में नंदू के किरदार में नजर आएंगे। निर्णय हो गया और इस तरह सतीश कौशिक की चिंता दूर हो गई। सतीश कौशिक के भीतर विश्वास पैदा हो रहा था। सतीश कौशिक कॉमेडियन महमूद के बड़े फैन थे। उन्होंने पड़ोसन फिल्म देखकर महमूद से बहुत सीखा था। अब उन्हें मौका मिल रहा था कि वह दक्षिण भारतीय किरदार में अपना जादू दिखाएं। वहीं राजा बाबू में नंदू के किरदार में शक्ति कपूर के पास शानदार मौका था कि वह विलेन के साथ साथ हास्य अभिनेता के रुप में भी दर्शकों के दिलों में जगह बनाएं।
इसी शक्ति कपूर और सतीश कौशिक की मेहनत, जुनून, समर्पण और प्रतिभा कहा जाएगा कि दोनों ने अपनी भूमिकाओं को जीवंत कर दिया। साजन चले ससुराल और राजा बाबू सुपरहिट साबित हुई। जहां एक तरफ सन 1997 में साजन चले ससुराल के लिए सतीश कौशिक को फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया, वहीं साल 1995 में शक्ति कपूर को नंदू के किरदार के लिए बेस्ट एक्टर इन कॉमिक रोल के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस तरह से सतीश कौशिक और शक्ति कपूर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए, हिन्दी सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया।