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शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान

बीते जमाने के अभिनेता शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान मिलना उनके काम को सम्मान मिलना है। उन्होंने रोमांटिक भूमिकाएं जिस सहजता से निभाईं उसी कुशलता से वह परदे पर अपने गुस्से का इजहार भी करते थे।
शशि कपूर को दादा साहब फाल्के सम्मान

प्रसिद्ध अभिनेता शशि कपूर को सन 2014 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है। कन्यादान, सत्यम शिवम सुंदरम, दीवार, जुनून, 36 चौरंगी, जब जब फूल खिले में अपनी बेहतरीन अदाकारी के रंग दिखाने वाले शशि का जन्म 18 मार्च 1938 में कोलकाता में हुआ था।

राज और शम्मी जैसे दिग्गज अदाकार के भाई शशि फिल्म उद्योग में खूब प्रसिद्ध हुए और नाम कमाया। उनकी खूबसूरत मुस्कराहट पर कई दिल न्योछावर थे। अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने कई फिल्में कीं, जिसमें दीवार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। फिल्म में अमिताभ बच्चन को दिया गया उनका संवाद, ‘मेरे पास मां है’ आज तक लोगों के जहन में ताजा है।

वह जितने अच्छे कलाकार हैं उतने ही अच्छे इंसान भी हैं। सन 1985 से 2008 तक उनके साथ प्रबंधक के रूप में रहने वाले बकुल रावल उनकी बहुत इज्जत करते हैं। बकुल पुराने दिनों की यादें ताजा करते हुए एक किस्सा बताते हैं, ‘सन 1987 की बात है, शशि जी अजूबा फिल्म बना रहे थे। वह खुद भी वित्तीय रूप से काफी परेशान थे। पैसे की कमी थी और फिल्म जल्दी पूरी करनी थी। एक दिन उन्हें पता चला कि क्रू सदस्यों के लिए खाना बनाने वाली महिला की बेटी को दिल की बीमारी है। उन्होंने मुझे बुलाया और पचास हजार रुपये देकर कहा यह पैसे नानावटी अस्पताल में डॉ. शरद पांडे को दे आओ। डॉ. शरद पांडे अभिनेता चंकी पांडे के पिता हैं और नानावटी में हार्ट सर्जन थे। उन्होंने डॉ. पांडे को कहा कि बच्ची को तत्काल अस्पताल में भर्ती करें और इलाज शुरू कर दें। उस बच्ची का इलाज हुआ और आज वह खुशहाल जीवन जी रही है। यह शशि जी ही हैं जो अपनी परेशानियां भूल कर दूसरों की मदद कर सकते हैं।’

यह सम्मान मिलने से उनके परिवार के साथ साथ उनके प्रशंसकों में भी खुशी की लहर है।  

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