आवारा फिल्म के एक दृश्य में नायक अपनी मां से कहता है, ‘‘मां मैं आवारा बनूंगा।’’ नायक के बचपन की भूमिका में राज कपूर के छोटे भाई शशि कपूर थे। ‘‘मां मैं आवारा बनूंगा’’ कह कर वह अपनी चिरपरिचित मुस्कराहट छोड़ता है जो बरसों दर्शकों के दिल में बसी रह गई।
आवारा बनने का सपना पालने वाला वही नन्हा नायक दशकों लोगों के दिलों पर राज करता रहा। मोहिनी मुस्कान वाले शशि कपूर ने लंबी बीमारी के बाद 79 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा जरूर कहा पर उनके प्रशंसक उन्हें कभी अलविदा नहीं कहेंगे।
चाहे वह शर्मीली फिल्म का रोमांटिक गीत गाने वाला गायक हो या सत्यम शिवम सुंदरम का इंजीनियर जो नायिका की आवाज से प्रेम तो करता है पर चेहरा देख कर एक निष्ठुर व्यक्ति में बदल जाता है। एक अंग्रेज लड़की के प्रेम में पड़ कर अपना सब कुछ लुटा देने वाला जुनून का नायक हो या दीवार में बड़े नाम वाले बच्चन को आमने-सामने कड़ी टक्कर देना हो, कपूर खानदान के इस चश्मो चिराग ने हर भूमिका में अपनी छाप छोड़ी।
‘‘मेरे पास मां है’’ का संवाद ऐसा संवाद बन गया जो आज तक हर डायलॉग पर भारी पड़ता है। जब जब फूल खिले, न्यू दिल्ली टाइम्स, प्यार किए जा, नमक हलाल कुछ ऐसी फिल्में हैं जिनके हर रोल में विविधता थी।
कभी-कभी, त्रिशुल, शान, नमक हलाल में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ जोड़ी बनाई और अपने अभिनय से अमिताभ के बराबर कद हासिल किया। राजेश खन्ना की तरह लड़कियां उनका फोटो पर्स में रख कर नहीं चलीं लेकिन जिसने भी उन्हें देखा दिल से चाहा। उनकी कातिल मुस्कराहट पर उस दौर की ऐसी कौन सी लड़की थी जो फिदा न थी।