विशाल शुक्ला
आइये आज आपको बताते हैं दुनिया की कुछ बेहद दुर्लभ बीमारियों पर बनी फिल्में के बारे में, जिन्हें न सिर्फ फ़िल्म क्रिटिक्स ने पसन्द किया बल्कि उन्हें कमर्शियल सक्सेस भी मिली।
आनंद
राजेश खन्ना की फिल्म आनंद' आंतों के कैंसर और ब्लड कैंसर पर आधारित थी। वर्ष 1971 में आई आनन्द को अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के संजीदा अभिनय और संवेदनशील गानो के कारण दर्शकों और आलोचकों दोनों ने सराहा। इसे बेस्ट एक्टर के फिल्मफेयर पुरस्कार, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के फिल्मफेयर पुरस्कार (अमिताभ बच्चन), बेस्ट डॉयलाग (गुलज़ार) के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
फिर मिलेंगे
फिल्म 'फिर मिलेंगे' में सलमान खान और शिल्पा शेट्टी ने एड्स के मरीज का किरदार निभाया था। ये फ़िल्म वर्ष 2004 में रिलीज़ हुई थी। एड्स पीड़ित होने के बाद नौकरी से निकाले जाने और उसके बाद कानूनी लड़ाई लड़ते फ़िल्म शिल्पा शेट्टी के किरदार को काफी सराहा गया था।
गजनी
फिल्म 'गजनी' में आमिर खान ने एन्टेरोगेट एम्नेसिया (शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस) के मरीज का किरदार निभाया था। ये फ़िल्म वर्ष 2008 में रिलीज़ हुई थी। 'गजिनी' हॉलीवुड फिल्म 'मेमंटो' का रीमेक थी। इसके लिए असिन को बेस्ट फीमेल डेब्यू का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला था। इस आलोचकों द्वारा भी आमिर के संजीदा अभिनय के लिए सराहा गया था।
मार्गरिटा विद अ स्ट्रॉ
फिल्म 'मार्गरीटा विद ए स्ट्रा' में कल्कि कोचलिन ने मुख्य किरदार निभाया है। इसमें वह सेलिब्रल पाल्सी से ग्रस्त लडक़ी का किरदार निभाया है। फिल्म का निर्देशन शोनाली बोस ने किया था। यह फ़िल्म वर्ष 2012 में रिलीज हुई थी। कल्कि कोचलिन ने इसमें बीमार होने के बावजूद न्यूयार्क पढ़ने के लिए जाने वाली प्यार की तलाश करती युवा लड़की का किरदार निभाया था। इसके लिए उन्हें क्रिटिक्स चॉइस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
पा
फिल्म 'पा' में अमिताभ बच्चन ने 13 साल के बच्चे का किरदार निभाया था, जो कि प्रोजेरिया का मरीज था. यह फिल्म प्रोजेरिया के मरीज सैम्पसन गॉर्डन बर्न्स पर बनी थी. यह फ़िल्म वर्ष 2009 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म कर लिए अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड और बेस्ट एक्टर का नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड भी मिला था। विद्या बालन जिन्होंने इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया था,को भी बेस्ट ऐक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया था।
गुज़ारिश
फिल्म 'गुजारिश' रितिक रोशन ने क्वैड्रिप्लेजिक मरीज का किरदार निभाया था, जो गर्दन के निचले हिस्से से पैरालाइज्ड था. यह फ़िल्म वर्ष 2010 में रिलीज़ हुई थी। संजय लीला भंसाली की इस फिल्म ने इच्छा मृत्यु पर एक राष्ट्रीय विमर्श भी शुरू कर दिया था. इस फ़िल्म के लिए ऋतिक रोशन को बेस्ट एक्टर इन ड्रामा का स्टारडस्ट अवार्ड मिला था।
माई नेम इज खान
फिल्म 'माई नेम इज खान' में शाहरुख खान ने एस्पर्जर सिंड्रोम के मरीज का किरदार निभाया था. यह फ़िल्म वर्ष 2010 में रिलीज़ हुई थी। जिसमे शाहरुख खान ने बीमारी से जूझते और अपने धर्म के बारे में लोगों की गलतफहमी को दूर करने के लिए संघर्ष करते आदमी का संजीदा किरदार निभाया था। इसमे शाहरुख खान का कहा 'माई नेम इज खान एंड आई एम नाट अ टेरेरिस्ट' डॉयलाग खासा चर्चित हुआ था। इस फ़िल्म के लिए शाहरुख खान को बेस्ट एक्टर का फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला था।
बर्फी
अनुराग बासु की फिल्म 'बर्फी' में प्रियंका चोपड़ा ने ऑर्टिस्टिक लड़की का किरदार निभाया था। ऑटिज्म बीमारी 1000 में से 1-2 को ही होती है। वहीं, फिल्म में रणबीर कपूर ने गूंगे और बहरे लड़के का किरदार निभाया था. यह फ़िल्म वर्ष 2012 में रिलीज़ हुई थी। इसके लिए रनबीर कपूर को बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया था। साथ ही इलियाना डी क्रूज़ को भी बेस्ट फीमेल डेब्यू का अवार्ड दिया गया था।
ब्लैक
फिल्म 'ब्लैक' में रानी मुखर्जी ने आंख और कान से दिव्यांग मरीज का किरदार निभाया था. अमिताभ बच्चन ने रानी मुखर्जी के किरदार मिशेल के टीचर का किरदार निभाया था,जो उसे रोज़ की दिक्कतों से लड़ने की ट्रेनिंग देता है। यह फ़िल्म वर्ष 2005 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म के लिए क्रमशः अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी को बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था।
तारे जमीं पर
आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीं पर' में डिस्लेक्सिया से पीड़ित एक बच्चे ईशान की कहानी को दिखाया गया था। जिसमे अमिर खान उसके ड्राइंग टीचर बनकर आते हैं और उसकी परेशानियों को समझते और उन्हें ड्राइंग के जरिये हल करने की कोशिश करते हैं। यह फ़िल्म वर्ष 2007 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म को बेस्ट फ़िल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था।