हिन्दी फिल्म संगीत में संगीतकार कल्याणजी वीरजी शाह और आनंद वीरजी शाह का बड़ा योगदान रहा है। कल्याणजी वीरजी शाह ने जहां शास्त्रीय संगीत की बारीकियां फिल्म संगीत में शामिल की, वहीं आनंदजी वीरजी शाह ने पाश्चात्य संगीत से हिन्दी सिनेमा के दर्शकों का मनोरंजन किया। कल्याणजी आनंदजी ने प्रकाश मेहरा, मनोज कुमार, फिरोज खान के साथ कई सुपरहिट फिल्में बनाईं। कल्याणजी आनंदजी का संगीत तो अच्छा था ही, उनका स्वभाव भी सरल और उदार था। कल्याणजी आनंदजी ने न केवल गायकों, लेखकों, गीतकारों को मौका दिया बल्कि अपने समकालीन संगीतकारों की भी मदद की। कुछ दक्षिण भारतीय फिल्मों में संगीत देने के लिए कल्याणजी आनंदजी ने संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें अवसर दिया।
कल्याणजी आनंदजी एक बार विदेशी दौरे पर थे। उन्होंने देखा कि विदेश में विदेशी कलाकार स्टेज शोज को बहुत महत्व देते हैं। विदेशी सिनेमा के बड़े से बड़े कलाकार स्टेज शो में प्रस्तुति देने के लिए तैयार रहते हैं। विदेशी जनता भी इन शोज को खूब पसंद करती है। जबकि इसके ठीक उलट हिन्दी सिनेमा के कलाकार स्टेज शोज में रुचि नहीं दिखाते। वह स्टेज परफॉर्मेंस को दोयम दर्जे का काम समझते हैं। कल्याणजी आनंदजी ने यह भी महसूस किया कि विदेश में अधिकांश तौर पर ऐसी भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग होती थी, जिनमें भारत की गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, अपराध को प्रमुखता से दिखाया गया हो। इस कारण भारत की एक नकारात्मक छवि विदेशों में बन गई थी।देशप्रेम की भावना से भरे हुए कल्याणजी आनंदजी को यह बात चुभ रही थी। उन्होंने निर्णय लिया कि वह न केवल भारत की छवि बेहतर करने का काम करेंगे बल्कि भारतीय संगीत और कलाकारों को भी स्टेज शोज से जोड़ने का काम करेंगे।
इसी सोच के साथ कल्याणजी आनंदजी ने म्यूजिकल शोज की शुरूआत की। इन शोज में कल्याणजी आनंदजी का संगीत होता। महानायक अमिताभ बच्चन की प्रस्तुति होती। अमिताभ बच्चन अपने फिल्मी करियर के शीर्ष पर थे। उन्होंने कल्याणजी आनंदजी के साथ कई सफल फिल्मों में काम किया था। "डॉन" "मुकद्दर का सिकंदर", "हेरा फेरी" जैसी फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुई थीं। कल्याणजी आनंदजी के सबसे करीबी गायक थे किशोर कुमार।
जब कल्याणजी आनंदजी ने किशोर कुमार से स्टेज शो की बात कही तो किशोर कुमार घबरा गए। किशोर कुमार को भय था कि वह किस तरह भीड़ का सामना करेंगे। इस कारण किशोर कुमार ने कल्याणजी आनंदजी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। लेकिन कल्याणजी आनंदजी किशोर कुमार की प्रतिभा को जानते थे। उन्हें मालूम था कि यदि किशोर कुमार स्टेज पर उतर गए तो विदेशों में हिंदी फिल्म संगीत की धूम मच जाएगी। इसलिए कि जो रंग, जोश, चुलबुला अंदाज किशोर कुमार का था, उसका सानी कहीं भी मौजूद नहीं था। कल्याणजी आनंदजी ने किशोर कुमार को बहुत समझाया लेकिन किशोर कुमार का डर नहीं निकला। तब कल्याणजी वीरजी शाह ने किशोर कुमार को समझाते हुए कहा " किशोर दा, आप किशोर कुमार हैं, महान प्रतिभावान गायक किशोर कुमार, जबकि जनता में बैठे लोग साधारण हैं, उन्हें संगीत का कोई अधिक ज्ञान नहीं है, यह लोग आजीवन मेहनत करें तो भी किशोर कुमार की गायकी के नजदीक नहीं पहुंच सकते। इसलिए आपको डरने की जरूरत नहीं है। आप बिंदास होकर स्टेज शो के लिए तैयार रहिए"। कल्याणजी की बात सुनकर किशोर कुमार को हिम्मत मिली। किशोर कुमार ने कल्याणजी आनंदजी से एक बार फिर इस बात को दोहराने के लिए कहा। बात फिर दोहराई गई। धीमे धीमे किशोर कुमार का आत्म विश्वास बढ़ने लगा। किशोर कुमार ने निर्णय लिया कि वह स्टेज शो करेंगे। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास में दर्ज हो गया। किशोर कुमार अपने समय में सबसे ज्यादा सफ़ल स्टेज शो करने वाले गायक बनकर उभरे। इस प्रकार कल्याणजी आनंदजी ने किशोर कुमार का मनोबल बढ़ाकर, उनकी शख्सियत का एक नया पहलु उजागर किया।