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जन्मदिन: सफाई पसंद अाशा भोसले को पंचम दा गुलदस्ते के बीच में झाड़ू रखकर देते थे

महाराष्ट्र में थियेटर और संगीत की दुनिया में रचा-बसा एक परिवार। पंडित दीनानाथ मंगेशकर के इसी परिवार...
जन्मदिन: सफाई पसंद अाशा भोसले को पंचम दा गुलदस्ते के बीच में झाड़ू रखकर देते थे

महाराष्ट्र में थियेटर और संगीत की दुनिया में रचा-बसा एक परिवार। पंडित दीनानाथ मंगेशकर के इसी परिवार में उनकी बेटियां लता, आशा और ऊषा पली बढ़ी थीं और संगीत उन्हें विरासत में मिला था। आशा अपनी बड़ी बहन लता के साथ परिवार को आर्थिक रुप से मदद करने के लिए गाने गाती थीं। उन्होंने कई मराठी फिल्मों में गाने गाए। धीरे-धीरे लता मंगेशकर बड़ी गायिका बन गईं लेकिन आशा को अपना सफर अभी तय करना था और वो मकाम हासिल करना था कि लोग उन्हें लता की छोटी बहन की तरह ना पहचानें और ऐसा हुआ भी। आशा भोसले को हम लता मंगेशकर से बहुत अलग पाते हैं। 

जब लता बड़ी गायिका बन चुकी थीं तब तक आशा ने गायिकी को लेकर सीरियसली सोचना शुरू नहीं किया था। उनकी लाइफ में बड़ा मोड़ तब आया, जब उन्होंने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर गणपत राव भोसले के साथ शादी कर ली। यहां से आशा मंगेशकर आशा भोसले हो गईं। इसके बाद लता ने भी उनसे काफी लम्बे समय तक बातचीत नहीं की। लता से उनकी अदावत के और भी कई किस्से हैं। इस शादी के बाद आशा भोसले की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होंने अपनी गायिकी पर फिर से फोकस करना शुरू किया ताकि कुछ पैसे बनाए जा सकें।

पहचान की तलाश

50 के दशक में अपनी जगह बना पाना मुश्किल था क्योंकि ये दौर शमशाद बेगम, गीता दत्त और लता मंगेशकर का था। आशा को सिर्फ साइड के गीत, निगेटिव किरदार वाली एक्ट्रेस पर फिल्माए गए या फिर बी ग्रेड फिल्मों के गीत मिलते थे। तब उनकी मुलाकात संगीतकार सज्जाद हुसैन से हुई, जिनसे उन्होंने कहा कि मुझे गाना नहीं आता, आप मुझे सिखा दीजिए। 1952 में 'संगदिल' फिल्म में आशा ने गीत गाया, जिसका संगीत हुसैन ने दिया था। इस फिल्म के लिए आशा की तारीफ तो हुई लेकिन आशा की आवाज को पहचान दिलाने वाले असली शख्स थे संगीतकार ओपी नैय्यर।

अोपी नैय्यर के साथ केमिस्ट्री

ओपी नैय्यर के साथ उनकी केमिस्ट्री लाजवाब थी। 1952 से लेकर 1972 तक दोनों ने हिंदी सिनेमा को एक से एक आलातरीन नगमे दिए। दोनों एक दूसरे के काफी करीब माने जाने लगे थे लेकिन बाद में दोनों के रिश्तों में खटास आ गई और उनके रास्ते अलग हो गए। वजहें अब तक नामालूम हैं। ओपी नैय्यर ने तब कहा था, 'अब तक के मेरे जीवन में जिस सबसे अच्छी शख्सियत सें मैं मिला हूं, वह आशा भोसले हैं।'

लेकिन आशा भोसले ओपी नैयर को हमेशा क्रेडिट देने से बचती रहीं। उन्होंने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'किसी ने भी मुझे काम दिया तो सिर्फ मेरी आवाज की वजह से।' आशा अपने पहले बड़े ब्रेक का क्रेडिट भी 'नया दौर' के प्रोड्यूसर बीआर चोपड़ा को देती हैं ना कि ओपी नैय्यर को।

आरडी बर्मन के साथ

इसके बाद जिस संगीतकार से उनका गहरा जुड़ाव रहा वो थे आरडी बर्मन उर्फ पंचम। फिल्मों के गीतों को वेस्टर्न टच देने का काफी क्रेडिट इन दोनों को ही जाता है। कैबरे और पॉप गायिकी आशा की पहचान थी। हेलन के लिए उन्होंने बहुत से गाने गाए। गणपत राव भोसले से अलग होने के बाद पंचम से उन्होंने 1980 में शादी की। 1994 में पंचम की मौत तक दोनों साथ रहे। आशा भोसले को सब कुछ हर वक्त साफ-सुथरा रखने की आदत थी इसलिए पंचम मजाक में उन्हें गुलदस्ता देत थे और उसके बीच में छोटी सी झाड़ू छिपा देते थे। कहते थे कि इतनी सफाईपसंद महिला के पास झाड़ू हर वक्त होनी चाहिए।

वर्सेटाइल आशा ताई

1980 तक एक दौर ऐसा था, जब आशा को सिर्फ कैबरे सांग या पॉप कल्चर गाने वाली गायिका के तौर पर देखा जाता था लेकिन ये स्टीरियोटाइफ उन्होंने तोड़ा फिल्म उमराव जान (1981) में। उन्होंने दिखाया कि वो गज़ल भी उतने ही बेहतरीन तरीके से गा सकती हैं।

शहरयार के लिखे गीत, खय्याम के संगीत और आशा की खनकती आवाज ने उमराव जान के गीतों को अमर कर दिया। इस फिल्म के लिए आशा भोसले को नेशनल अवॉर्ड मिला। अगला नेशनल अवॉर्ड उन्हें गुलज़ार की फिल्म इजाज़त (1987) के गीत 'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है' के लिए मिला। आशा भोसले की रेंज बहुत बड़ी है। उन्होंने कव्वाली, क्लासिकल संगीत, रबींद्र संगीत, पॉप गाने खूब गाए हैं।

लता मंगेशकर से दूरियां

कहा जाता है कि जब आशा के गीतों की मांग बढ़ने लगी थी तब उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर उनसे चिढ़ने लगी थीं। लता ने कई बार ओपी नैय्यर और आशा भोसले के रिश्तों को लेकर आलोचना की थी। आशा को भी हर वक्त लगता था कि उन्हें अपनी आवाज लगातार मांजनी होगी ताकि उनकी आवाज लता के सामने खो ना जाए।

ओपी नय्यर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि बांबे (मुंबई) की पेद्दार रोड में दोनों के अलग-अलग फ्लैट में एक ही मेड काम करती थी। वो आशा को बताती रहती थी कि लता ने क्या किया और कौन सा गाना गाया। ओपी नैय्यर ने कहा कि इसकी वजह से आशा तनाव में रहने लगी थीं और नैय्यर आशा को समझाया कि तुम्हारी आवाज लता से अलग है। हालांकि लता और आशा ने कई गाने एक साथ भी गाए लेकिन दोनों एक दूसरे की तारीफ कभी नहीं करती थीं।

हर दौर में मकबूल आशा भोसले

आशा की आवाज बेहद मॉडर्न लगती है। आज की आवाज लगती है। इसीलिए उन्होंने ओपी नैय्यर, खय्याम, शंकर जयकिशन से लेकर 90 के दशक में अनु मलिक, जतिन-ललित के साथ और एआर रहमान के साथ काम किया। उन्होंने 1995 में 62 साल की उम्र में उर्मिला मातोंडकर के लिए 'तन्हा-तन्हा' और 'रंगीला रे' जैसे गाने गाए। 2000 के दशक में लगान, प्यार तूने क्या किया, ये लम्हा, फिलहाल, लकी के गाने गाए। 2012 में उन्होंने रियलिटी शो सुर क्षेत्र को जज किया। 2013 में उन्होंने फिल्म माई में एक्टिंग भी की, जिसकी तारीफ हुई। बाद में आशा ताई ने कई स्वतंत्र अल्बम भी निकाले। 80 और 90 के दशक में उन्होंने अपने कंसर्ट के लिए वर्ल्ड टूर किए।

आशा भोसले ने 2006 में कहा था कि उन्होंने 12,000 से ऊपर गाने गाए थे। 20 से ज्यादा भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने गाए। 2000 में उन्हें सिनेमा का सबसे बड़ा अवॉर्ड दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिया गया। 2008 में उन्हें पद्म विभूषण मिला। अपनी बेटी के सुसाइड कर लेने के बाद वो काफी टूट गई थीं। पिछले दिनों दिल्ली के मैडम तुसाद म्यूजियम में अपनी मोम की मूर्ति के अनावरण के मौके पर आशा ताई नजर आई थीं। 

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