एक्ट्रेस नंदिता दास ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी का विरोध करते हुए इसके विरोध में सभी से आवाज उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अब हर जगह शाहीन बाग बन रहा है क्योंकि इतने सारे लोग अब सड़क पर हें। हर एक नागरिक, एक इंसान के हिसाब से, हम सबको इसके खिलाफ बोलना चाहिए।
जयपुर में एक समारोह में नंदिता दास ने कहा कि इस देश के जो मूल्य हैं, बुनियाद हैं, उसे संभालकर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब धर्म के नाम पर लोगों से पहचान मांगी जा रही है। इस बात का विरोध हो रहा है। छात्रों ने इसकी शुरुआत की है। इसके खिलाफ सभी को आवाज उठानी चाहिए।
'पहली बार फिल्म समुदाय साथ'
एक्ट्रेस नंदिता दास ने कहा कि मतभेद होना अलग बात है, लेकिन सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। आपसे भारतीय होने का सूबत मांगा जा रहा है और दिल्ली की तरह शाहीन बाग हर जगह बन रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि छात्र, मशहूर हस्तियां, पत्रकार और लेखक सहित हर प्रकार के लोग अपनी राय दे रहे हैं। पहली बार फिल्म समुदाय के लोग इसके साथ जुड़ रहे हैं। इंसान के रूप में लोग सामने आ रहे हैं। मुख्यधारा के लोगों के साथ-साथ सिनेमा के लोगों ने सीएए और एनआरसी के खतरनाक संबंधों के खिलाफ बात की है।'
'मंटो होते तो शायद दुखी होते'
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की खराब हालत के बीच हमें अपनी पहचान साबित करनी पड़ रही है। बेरोजगारी बहुत ज्यादा हो चुकी है, स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल खराब हैं, बच्चे मर रहे हैं। नंदिता दास ने कहा कि यह संदेश देने का समय नहीं बल्कि सोचने का है कि किस तरह का समाज चाहते हैं। आज मंटो होते तो शायद वे भी दुखी होते। बता दें कि साल 2018 में उनके निर्देशन में बनी फिल्म 'मंटो' से भी वह चर्चा में रहीं। यह फिल्म लेखक सआदत हसन मंटो पर बनाई गई थी।