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कमल हासन ने पीएम मोदी को लिखा ओपन लेटर, लॉकडाउन पर उठाए सवाल

देशभर में कोरोना वायरस का कहर तेजी से फैल रहा है। दिन पर दिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं। देशभर में...
कमल हासन ने पीएम मोदी को लिखा ओपन लेटर, लॉकडाउन पर उठाए सवाल

देशभर में कोरोना वायरस का कहर तेजी से फैल रहा है। दिन पर दिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं। देशभर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4858 के करीब पहुंच गया है। वहीं, अब तक इस वायरस से 136 लोगों की जान जा चुकी है। इन सबके बीच साउथ के सुपरस्टार एक्टर और पॉलिटीशियन कमल हासन ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लॉकडाउन के कदम को लेकर पीएम मोदी की जमकर आलोचना की है। इसके लिए उन्होंने बाकायदा पीएम मोदी की खुला खत लिखा है। कमल हासन ने लॉकडाउन को नोटबंदी से ज्यादा असफल कदम करार दिया है। हासन का मानना है कि कोरोना लॉकडाउन आम लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है।

कमल हासन ने अपने लेटर में लिखा, 'मैंने 23 मार्च को अपने खत में कहा था कि ऐसी सिचुएशन ना बनाई जाए जिसकी वजह से देश के गरीबों को दिक्कतों का सामना करना पड़े। लेकिन फिर अगले दिन ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। ठीक वैसे ही जैसे नोटबंदी का ऐलान किया गया था। हमने फिर भी आप पर भरोसा जताया पर मैं गलत था और आप भी गलत थे। आप देश के लीडर हैं और 1.4 बिलियन लोग आपकी बात मानते हैं। दुनियाभर में कोई ऐसा नेता ऐसा नहीं है जिनकी इतने ज्यादा फोलोवर्स हैं। सारा देश आप पर भरोसा करता है। हम सब आपके निर्देशों पर चलने के लिए तैयार हैं। मैं भी एक लीडर हूं और एक लीडर होने के नाते मेरे आपसे कुछ सवाल हैं।' कमल हासन ने आगे लिखा, 'मुझे इस बात का डर है कि जिस तरह नोटबंदी के बाद से देश को नुकसान झेलना पड़ा ऐसा ही लॉकडाउन के साथ भी होता दिख रहा है।

एक तरफ लोग दिया जला रहे तो दूसरी तरफ लोगों के घरों में तेल नहीं

हासन का यह भी कहना है, 'आप अमीर लोगों से कहते हैं कि बालकनी में खड़े होकर तेल के दीये जलाएं। वहीं, गरीब इंसान के सिर पर छत भी नहीं है, उसके पास इतना भी तेल नहीं है कि एक वक्‍त का खाना भी नहीं बना सकते। आपने अपने राष्‍ट्र के नाम दो संबोधनों में लोगों को शांत करने का प्रयास किया, जो ऐसे वक्त में जरूरी भी है। लेकिन यह तरीका मनोवैज्ञानिक तरीके से अमीर संपन्न देशों में ही फिट हो सकते हैं।

लेटर में नाखुशी जताते हुए हासन लिखते हैं, 'जब भी हालत ठीक होते हैं, आप चुनावी अंदाज में कोई कैंपेन चला देते हैं। मैं पेरियार और गांधी का अनुसरण करने वाला हूं और मुझे मालूम है कि वे बुद्धिजीवी चिंतक थे। भले ही बुद्धिजीवी शब्‍द आपको अच्‍छा नहीं लगे। लेकिन यही विवेकशीलता हमें समानता सही राह चुनने में सहायक होता है। '

हम गुस्से में हैं लेकिन फिर भी आपके साथ खड़े हैं

राजनीतिक पार्टी मक्‍क्‍ल निधि मयैम के संस्‍थापक कमल हासन ने लिखा, 'देश की जीडीपी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हमें आशा है कि हम इस मुश्किल को एकजुट होकर निपट लेंगे जैसा कि हम हमेशा से करते आए हैं। मगर ये कुछ इस तरह से होना चाहिए जिससे सभी का भला हो। हम गुस्से में हैं लेकिन फिर भी आपके साथ खड़े हैं। जय हिंद।'

 

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