छत्रपति शिवाजी के सेनापति तानाजी मालुसरे पर बनी फिल्म ‘तानाजी: द अनसंग वॉरिअर’ का ट्रेलर जारी हो गया है। अजय देवगन फिल्म में तानाजी मालुसरे का किरदार निभाते नजर आएंगे। फिल्म को ओम राउत ने डायरेक्ट किया है। वहीं काजोल उनकी पत्नी सावित्री बाई मालुसरे की भूमिका में है। फिल्म में सैफ अली खान उदयभान के निगेटिव रोल में नजर आ रहे हैं। उनकी ये फिल्म 10 जनवरी 2020 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
जानें कौन थे तानाजी
तानाजी मालुसरे एक मराठा सरदार और छत्रपति शिवाजी महाराज के घनिष्ठ दोस्त थे। वे मराठा साम्राज्य, हिंदवी स्वराज्य स्थापना के लिए सुभेदार की भूमिका निभाते थे। तानाजी 1670 ई में सिंहगढ़ की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए प्रसिद्ध हैं। तानाजी अपने बेटे की शादी की तैयारियां छोड़ कर शिवाजी के बुलावे कोंढाणा किले के लिए युद्ध करने पहुंच गए थे। छत्रपति महाराज जी की सेना में कई सरदार थे लेकिन कोढ़ाणा आक्रमण के लिए उन्होंने तानाजी मालुसरे को ही चुना।
उदयभान से हुआ था युद्ध
कोंढ़ाणा किले पर मुगलों के सेनापति उदयभान राठौड़ का कब्जा था। इतिहास में दर्ज घटनाओं के मुताबिक तानाजी सिंहगढ़ के युद्ध में मुगल सेना को हराने के लिए मशहूर हैं। इस युद्द को जीतने में तानाजी शहीद हो गए थे। शिवाजी को जब इस बात की खबर मिली तह उन्होंने कहा था- ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ इसका मतलब की गढ़ तो जीत गए लेकिन मेरा सिंह (तानाजी) चला गया। बाद में शिवाजी ने इस किले का नाम सिंहगढ़ रख दिया।
342 सैनिकों के साथ किया हमला
तानाजीराव अपने भाई सूर्याजी मालुसरे और मामा (शेलार मामा) समेत 342 सैनिकों के साथ कोंढाणा किले पर युद्ध के लिए निकल गए थे। किले पर जय सिंह प्रथम के सिपहसालार उद्यभान राठौड़ का राज था। कोंढाणा किला रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान पर था इसलिए शिवाजी का इस किले पर कब्जा करना और भी जरूरी था।
कोढ़ाणा किले तक पहुंचने के लिए तानाजी 342 सैनिकों की टुकड़ी ने आधी रात में किले की पश्चिमी भाग से किले पर चढ़ने का फैसला किया। चुपचाप किले पर चढ़ने के बाद किले का कल्याण दरवाजा खोला और उन्होंने अपनी सेना को मुगलों पर हमला करने का आदेश दिया।
5000 मुगल सैनिक और उदयभान का हारना
5000 मुगल सैनिकों और तानाजी के बीच युद्ध हुआ। युद्ध करते समय जब उनकी ढाल टूट गई तब उन्होंने अपने सिर के फेटे को अपने हाथ पर बांधा और तलवार के वार अपने हाथों पर झेलने के मजबूर हो गए। युद्ध के दौरान तानाजी अपने सैनिकों की हिम्मत बढ़ाने के लिए जोर-जोर से गाना गाने लगे। युद्द में उन्होंने उदयभान को तो हरा दिया लेकिन खुद वीरगति को प्राप्त हो गए।