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ओडिशा विश्वविद्यालय के 159 छात्र नेपाल लौटे, अमानवीय व्यवहार का दावा किया

ओडिशा के एक विश्वविद्यालय में नेपाल की एक छात्रा के कथित तौर पर आत्महत्या करने और कॉलेज प्रशासन की ओर...
ओडिशा विश्वविद्यालय के 159 छात्र नेपाल लौटे, अमानवीय व्यवहार का दावा किया

ओडिशा के एक विश्वविद्यालय में नेपाल की एक छात्रा के कथित तौर पर आत्महत्या करने और कॉलेज प्रशासन की ओर से नेपाली छात्रों को छात्रावास खाली करने का आदेश दिए जाने के कुछ दिन बाद 159 छात्र रक्सौल सीमा के रास्ते नेपाल वापस आ गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

परसा के सहायक मुख्य जिला अधिकारी सुमन कुमार कार्की ने बताया कि रक्सौल सीमा से बृहस्पतिवार शाम तक 159 नेपाली छात्र वापस लौटे।

ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में बीटेक (कम्प्यूटर साइंस) की तृतीय वर्ष की छात्रा प्रकृति लम्साल (20) ने 16 फरवरी को अपने छात्रावास के कमरे में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया था।

ओडिशा के केआईआईटी में नेपाल के लगभग 1,000 छात्र पढ़ते हैं।

काठमांडू में ‘रिपोर्टर्स क्लब’ में मीडिया से बात करते हुए नेपाल लौटे छात्रों के एक समूह ने कहा कि कॉलेज के छात्रावास में नेपाली छात्रा की मौत के बाद उनके साथ "अमानवीय व्यवहार" किया गया।

छात्रों ने कहा, "प्रकृति लम्साल की रहस्यमयी मौत के बाद, हमारे साथ दुर्व्यवहार व अमानवीय व्यवहार किया गया।"

उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी में सुरक्षा कर्मियों ने हमारी पिटाई की और हमें तुरंत छात्रावास खाली करने को कहा।" छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद वे कॉलेज लौटने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "कॉलेज द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद पढ़ाई के लिए कोई सुरक्षित और अनुकूल माहौल नहीं था।"

उन्होंने कहा कि प्रकृति लम्साल की मौत की उचित जांच होनी चाहिए और पीड़ित छात्रों को न्याय मिलना चाहिए।

नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने बृहस्पतिवार को बताया था कि सरकार ने नेपाली छात्रा की मौत से उत्पन्न मुद्दे को राजनयिकों के माध्यमों से सुलझा लिया है।

देउबा ने ओमान से आने के बाद त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘नेपाल सरकार ने ओडिशा स्थित केआईआईटी में नेपाली छात्रा की मौत से जुड़ी मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे राजनयिक माध्यमों से हल कर लिया है।’’

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