अरुणाचल प्रदेश की पुलिस ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थित अपर सुबनसिरी जिले के पांच युवकों का कोई पता नहीं चल पाया है। इन युवकों को कथित तौर पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अगवा किया है।
भारतीय सेना द्वारा पोर्टर्स और गाइड के रूप में संलग्न, ऊपरी सुबनसिरी जिले के नाचो क्षेत्र के पांच ग्रामीणों, जो एक 7-सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, जो जंगल में शिकार के लिए गए थे, उनके परिवारों द्वारा पिछले शुक्रवार को सोशल मीडिया के माध्यम से लापता होने की सूचना दी गई थी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘ चीन-भारत सीमा के पूर्वी सेक्टर या झांगनान (चीन के झिनजियांग (तिब्बत) के दक्षिणी हिस्से) पर चीन का रूख एक जैसा और स्पष्ट रहा है।’’ उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने तथाकथित अरूणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी। भारतीय नागरिकों के लापता होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ आपने जिस स्थिति की चर्चा की, मैं उससे अवगत नहीं हूं।’’
ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (AAPSU) ने चीनी बयान की निंदा करते हुए राज्य को "दक्षिण तिब्बत" का हिस्सा बताया।
ईटानगर में एक यूनियन ने अपने बयान में कहा “राज्य के लोग चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा हमारे राज्य को तिब्बत के हिस्से के रूप में करार देते हुए संदिग्ध बयान को अस्वीकार करते हैं। हम इस तरह के बयानों की कड़ी निंदा करते हैं और चीनी सरकार को ऐसी कुख्याति से दूर रहने की सलाह देते हैं।''
वहीं, केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने रविवार को कहा कि भारतीय थल सेना ने युवकों के अपहरण का मुद्दा चीनी सेना के समक्ष उठाया है और उनके जवाब का इंतजार है।
रिजीजू ने ट्वीट कर कहा, ‘भारतीय सेना पहले ही अरुणाचल प्रदेश में सीमा बिंदु पर समकक्ष पीएलए को हॉटलाइन संदेश भेज चुकी है। प्रतिक्रिया का इंतजार है।’ तेजपुर में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा, ‘हमने अपने दलों को अलर्ट कर दिया है और वे असैन्य प्रशासन के संपर्क में लगातार बने हुए हैं।
इससे पहले, इस घटना के बारे में अपर सुबनसिरी के पुलिस अधीक्षक तारू गुस्सार ने कहा, ‘हमें स्थानीय सूत्रों से पता चला कि तागिन समुदाय के पांच लोगों को नाचो के निकट जंगल से पीएलए ने अगवा कर लिया। युवक वहां शिकार पर गए थे।’ उन्होंने कहा कि अभी तक किसी ने पुलिस के पास लापता की औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, सैन्य बलों के पास भी शिकायत नहीं आई है जो दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रणनीतिक महत्व के इलाकों की रक्षा करते हैं।
तारू गुस्सार ने कहा, ‘हम तथ्य का सत्यापन करने की कोशिश कर रहे हैं और सेना के संपर्क में निरंतर बने हुए हैं क्योंकि स्थानीय लोगों को एलएसी से पीएलए द्वारा अगवा करने और बाद में छोड़े जाने की घटनाएं पहले भी हो चुकी है।’
बता दें कि बीते शनिवार को अरुणाचल प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि चीन-भारत सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले के जंगल में शिकार करने गए पांच लोगों को चीन की पीएलए द्वारा कथित तौर पर अपहृत किए जाने की खबर आने के बाद राज्य पुलिस जांच शुरू कर दी है।
अपहरण किए गए लोगों के परिवारों ने बताया था कि यह घटना शुक्रवार को जिले के नाचो इलाके में हुई। लापता लोगों के साथ गए दो लोग किसी तरह बचकर आने में कामयाब हुए और उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी।
चीनी सेना द्वारा कथित तौर पर जिन लोगों का अपहरण किया गया है, उनकी पहचान तोच सिंगकम, प्रसात रिगलिंग, दोंगतू इबिया, तनू बाकर और नागरु दिरी के तौर पर की गई है और पांचों तागिन समुदाय के हैं। ये युवक सेना के लिए कुली और गाइड का काम करते थे।
अरुणाचल प्रदेश के पांच लोगों के अपहरण की खबर ऐसे वक्त आई है, जब भारतीय थल सेना ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के मद्देनजर 3,400 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी तैनाती बढ़ा दी है।
ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टुडेंट्स यूनियन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों से युवकों की जल्द एवं सुरक्षित रिहाई की मांग की। उसने कहा, ‘यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है, पहले भी पीएलए लगातार इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता रहा है। ’
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मार्च में 21 वर्षीय युवक तोगली सिनकम को पीएलए ने मैकमहोन रेखा के नजदीक असापिला सेक्टर में पकड़ लिया था, जबकि उसके दो दोस्त बचकर भागने में कामयाब हुए थे। पीएलएल ने करीब 19 दिन तक बंधक बनाए रखने के बाद युवक को रिहा किया था।