संसद के दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा हो रही है। विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तीखे सवाल उठा रहा है, वहीं सरकार भी मजबूती से हर सवाल का जवाब दे रही है। सदन में गूंज रहे प्रमुख सवालों में यह शामिल है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर क्यों हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय डोनाल्ड ट्रंप ने इसका एलान क्यों किया, क्या पहलगाम हमला खुफिया तंत्र की विफलता था और इस ऑपरेशन में भारत के कितने फाइटर जेट्स गिरे। इन तमाम सवालों के जवाब देने के लिए सरकार की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मोर्चा संभाला। आइए जानते हैं, सरकार ने इन सवालों के जवाब में क्या तर्क और जानकारी पेश की।
सीजफायर
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 4 दिन तक जोरदार झड़प हुई और 10 मई को दोनों देशों ने सीजफायर का एलान कर दिया। सीजफायर तक भारत अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 9 एयरबेस तबाह कर चुका था। देश में पाकिस्तान को और सबक सिखाने की मांग बढ़ रही थी, तभी अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर सीजफायर का एलान कर दिया। इसके बाद भारत ने भी सीजफायर की घोषणा की। विपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार इतनी जल्दी सीजफायर के लिए क्यों मानी और इसमें ट्रंप की क्या भूमिका थी?
सरकार की तरफ से राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पाकिस्तानी जमीन पर कब्जा करना नहीं था। इसका उद्देश्य आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करना था, जिसमें भारत सफल रहा। भारत की मार के बाद पाकिस्तान ने सीजफायर की पेशकश की, जिसे भारत ने एक शर्त के साथ स्वीकार किया—कि ऑपरेशन रुका नहीं है, आगे किसी भी हिमाकत का माकूल जवाब दिया जाएगा। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सीजफायर को लेकर पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। न ही ट्रेड को लेकर कोई चर्चा हुई। सीजफायर के लिए पाकिस्तान गिड़गिड़ाया।
कूटनीतिक नाकामी
विपक्ष का आरोप है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कोई भी बड़ा देश भारत के पक्ष में खुलकर नहीं बोला और ना ही साथ दिया। इसे सरकार की कूटनीतिक नाकामी बताया जा रहा है। इसके जवाब में एस. जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की कूटनीतिक जीत हुई है। संयुक्त राष्ट्र में 193 देश हैं, और पाकिस्तान के अलावा केवल तीन देशों ने भारत के कदम का समर्थन नहीं किया। सभी ने पहलगाम हमले की निंदा की और माना कि आतंकवाद के खिलाफ भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है। यह समर्थन नहीं तो और क्या है? क्वाड और ब्रिक्स जैसे संगठनों ने भी भारत का साथ दिया है और आतंकी हमले की निंदा की है। जिस संगठन (टीआरएस) ने पहलगाम हमला किया, पाकिस्तान उसका बचाव कर रहा था, लेकिन अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया। क्या ये कूटनीतिक हार है?
भारत का नुकसान
विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि भारत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कितने फाइटर जेट्स का नुकसान हुआ है। हालांकि, इसका सीधा जवाब राजनाथ सिंह ने नहीं दिया, लेकिन उन्होंने यह दोहराया कि भारत की किसी भी महत्वपूर्ण संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। उन्होंने भारत के डिफेंस सिस्टम और एंटी-ड्रोन सिस्टम की जमकर तारीफ की, जिसने पाकिस्तान के सभी हमलों को नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह पूछने के बजाय कि भारत ने कितने फाइटर जेट खोए, यह सवाल करना चाहिए कि दुश्मन के कितने जेट गिरे।
सुरक्षा में चूक
विपक्ष बार-बार पहलगाम हमले को लेकर सुरक्षा चूक का मुद्दा उठाकर सरकार को घेर रहा था। इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पहलगाम हमला सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि, कांग्रेस के समय जो आतंकी हमले हुए, उनका क्या? उन्होंने बटला हाउस एनकाउंटर का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दौरान छह साल में हजार लोगों की जान गई। इसकी जवाबदेही किसकी थी? जिन आतंकियों को कांग्रेस ने छोड़ा, उन्हें पीएम मोदी ने चुन-चुन कर मारा है। उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पोटा कानून पास किया, तब कांग्रेस ने इसका विरोध क्यों किया और सत्ता में आने के बाद उसे निरस्त क्यों किया? उन्होंने भारत के बंटवारे के लिए पंडित नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर भारत का विभाजन स्वीकार नहीं किया गया होता, तो भारत में ऐसे हमले नहीं होते। शिमला समझौते के दौरान पीओके वापसी की मांग क्यों नहीं की गई?
आतंकी कहां गए?
विपक्ष ने सवाल उठाया कि पहलगाम हमला करने वाले आतंकी कहां गए? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि जिन-जिन आतंकियों को कांग्रेस ने छोड़ा था, उन्हें मोदी सरकार ने मार गिराया है। जिसने पहलगाम हमला किया, वह ऑपरेशन महादेव में मारा गया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि हम मनमोहन सिंह नहीं हैं, जो हर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को डोज़ियर भेजेंगे। हम हर आतंकी हमले का जवाब घर में घुसकर देंगे।