भारत में कोविड-19 के मामले 31 मई को 3,700 के पार पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक नए वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 के लक्षण अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं, लेकिन ये अपेक्षाकृत हल्के हैं। हालांकि जनवरी 2025 से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से चार नई मौतें दिल्ली, कर्नाटक, केरल और उत्तर प्रदेश से सामने आई हैं।
इन वैरिएंट्स की तेज़ी से फैलने की क्षमता और मरीजों की पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं मौतों की बड़ी वजह बन रही हैं। 31 मई को एक ही दिन में 685 नए केस सामने आए, जिससे कुल मामले 2,710 से बढ़कर 3,395 हो गए। 1 जून को यह संख्या और बढ़कर 3,758 तक पहुंच गई।
राज्यवार स्थिति
भारत में सबसे ज़्यादा केस केरल से सामने आए हैं, जहां 1,400 एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में अब तक सात मौतें दर्ज की गई हैं और कुल मामले 485 तक पहुंच चुके हैं। दिल्ली में भी केस तेजी से बढ़कर 436 हो गए हैं, वहीं गुजरात ने 1 जून को 82 नए मामलों के साथ कुल 287 मामलों का आंकड़ा पार किया है।
कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य 200 के आंकड़े के आसपास हैं, हालांकि बंगाल से अब तक कोई मौत रिपोर्ट नहीं हुई है। तमिलनाडु में 199 और उत्तर प्रदेश में 149 सक्रिय केस हैं।
केरल सबसे ज़्यादा प्रभावित
केरल फिलहाल सबसे अधिक प्रभावित राज्य बनकर उभरा है। एक ही दिन में 189 नए मामले सामने आए हैं। राज्य ने ILI (इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण) और SARI (गंभीर सांस संबंधी संक्रमण) की निगरानी बढ़ा दी है। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारी कह रहे हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अस्पताल पूरी तरह तैयार हैं।
केरल के एक स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, “सरकारी अस्पतालों में अधिक RT-PCR टेस्ट किए जा रहे हैं ताकि जीनोमिक सीक्वेंसिंग की जा सके, जबकि निजी अस्पतालों में रैपिड एंटीजन टेस्ट ज़्यादा हो रहे हैं।”
डॉक्टरों ने नागरिकों को सलाह दी है कि यदि नाक बंद होना, उल्टी, पेट से जुड़ी समस्याएं और गले में खराश जैसे लक्षण 4 दिन से ज़्यादा बने रहते हैं, तो RT-PCR टेस्ट ज़रूर कराएं।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें लेकिन घबराएं नहीं, क्योंकि सभी मेडिकल सुविधाएं पहले से तैयार हैं।
सरकार ने जनता से कोविड नियमों का कड़ाई से पालन करने की अपील की है। मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचना जरूरी बताया गया है। साथ ही, टीकाकरण अभियान को भी तेजी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना संक्रमण का यह नया दौर हमें पूर्व में हुए कोविड प्रकोप की याद दिलाता है, जब बिना सतर्कता के वायरस ने कई जीवन लिए थे और आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं। इसलिए, लोगों को अभी से सावधानी बरतनी होगी ताकि इतिहास दोहराया न जाए और संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके।
कोरोना के पहले वाले दौर ने स्वास्थ्य प्रणाली, आर्थिक स्थिति और लोगों की जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाला था। अस्पतालों पर दबाव बढ़ा, रोजगार प्रभावित हुए और लोगों की मानसिक सेहत भी कमजोर हुई। इसलिए वर्तमान में संक्रमण बढ़ने के साथ ही सरकार और जनता दोनों को पहले के अनुभवों से सीख लेकर ही कार्रवाई करनी होगी।