सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रोहिंग्या से संबंधित मामलों में सबसे पहला और अहम मुद्दा यह तय करना है कि वे शरणार्थी हैं या अवैध घुसपैठिए। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन. कोटीश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि एक बार यह स्थिति स्पष्ट हो जाए, तो आगे के सभी मुद्दों का समाधान करना आसान हो जाएगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी रोहिंग्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान की।
पीठ ने कहा, “पहले यह तय किया जाना चाहिए कि क्या रोहिंग्या शरणार्थी हैं? अगर हां, तो उन्हें कौन-कौन से संरक्षण, विशेषाधिकार या अधिकार प्राप्त होंगे?”
अदालत ने यह भी कहा कि दूसरा बड़ा सवाल यह है कि अगर रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं और उन्होंने भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया है, तो क्या केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उन्हें निर्वासित करने की कार्रवाई उचित है?
कोर्ट ने यह भी पूछा, “अगर रोहिंग्या को अवैध घुसपैठिया माना गया है, तो क्या उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखा जा सकता है? या फिर क्या वे अदालत द्वारा उपयुक्त मानी गई शर्तों के अधीन ज़मानत पर रिहा होने के हकदार हैं?”
इसके साथ ही पीठ ने यह सवाल भी उठाया कि वे रोहिंग्या जो हिरासत में नहीं हैं और शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, उन्हें क्या पेयजल, स्वच्छता और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं?