उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने पर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प जताया जबकि भाजपा ने इसका स्वागत किया और कहा कि फैसले का “अक्षरशः” सम्मान किया जाएगा।
फैसले से पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों, गोरखाओं और वाल्मिकियों को भी राहत मिली है। इस फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं, जो इस मुद्दे पर विचारों की जटिलता और गहराई को दर्शाती हैं। जैसे ही शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर निराशा व्यक्त की लेकिन संघर्ष जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने एक शेर के जरिए अपनी बात कही, “दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।” भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि ‘‘हम फैसले का सही अर्थों में आदर व सम्मान करते हैं।’’ रैना ने ‘पीटीआई’ से कहा, “हमें अपने देश, संविधान और अपनी न्यायपालिका पर गर्व है जो दुनिया में सर्वश्रेष्ठतम में से एक है। हम शीर्ष न्यायालय के फैसले का सच्चे अर्थों में आदर और सम्मान करते हैं।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह विधानसभा चुनाव कराने को तैयार है लेकिन फैसला निर्वाचन आयोग को लेना है।
भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि यह बेहतर होगा कि उच्चम न्यायालय के फैसले को राजनीतिक रंग न दिया जाए। सेठी ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक निर्णय है क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण पर उठाए गए सवालों पर विराम लगा दिया है।’’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय ‘‘मौत की सजा से कहीं कम नहीं है।" पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों से आग्रह किया कि वे शीर्ष न्यायालय के फैसले से निराश न हों। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने फैसले को ‘‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘भारी मन के साथ हमें इसे स्वीकार करना होगा’’।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि फैसला ‘‘निराशाजनक’’ है और जम्मू-कश्मीर के लोग ‘‘एक बार फिर न्याय से वंचित’’ रह गए। विस्थापित कश्मीर पंडितों ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को हमेशा के लिए खत्म करना एक ऐतिहासिक फैसला है।