इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद मोहम्मद आजम खान और अन्य के खिलाफ 2016 के जबरन बेदखली मामले में अंतिम फैसले या आदेश पर रोक लगा दी है। यह मामला 12 अलग-अलग FIRs से शुरू हुआ, जो अब एक समेकित मुकदमे में तब्दील हो चुका है। कोर्ट ने प्रक्रियात्मक निष्पक्षता की चिंताओं को स्वीकार करते हुए 3 जुलाई 2025 तक फैसले को स्थगित कर दिया।
यह मामला रामपुर जिले के कोतवाली थाने में 2019-2020 के बीच दर्ज 12 FIRs से संबंधित है, जो 15 अक्टूबर 2016 को वक्फ संपत्ति यतीम खाना (वक्फ नंबर 157) पर अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त करने की कथित घटना से जुड़ा है। आजम खान और उनके सहयोगी वीरेंद्र गोयल की याचिका, जिसमें 30 मई 2025 के निचली अदालत के आदेशों को चुनौती दी गई थी, को हाईकोर्ट में एकल न्यायाधीश के समक्ष 18 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। इस याचिका में गवाहों को वापस बुलाने और 2016 की बेदखली के वीडियोग्राफिक सबूत पेश करने की मांग को खारिज करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट का यह निर्णय आजम खान के लिए राहत की बात है, जो पहले से कई कानूनी विवादों का सामना कर रहे हैं। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 3 जुलाई निर्धारित की है। यह मामला उत्तर प्रदेश में राजनीति और कानून प्रवर्तन के बीच जटिल संबंधों को दर्शाता है।