भारत सरकार ने हाल ही में बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों के भूमि मार्ग से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया है। इस निर्णय के चलते लगभग ₹5.5 करोड़ मूल्य के वस्त्र लेकर 36 ट्रक भारत-बांग्लादेश सीमा पर 'नो मैन्स लैंड' में फंसे हुए हैं। अब इन वस्त्रों को समुद्री मार्ग से कोलकाता या न्हावा शेवा बंदरगाहों के माध्यम से भेजना होगा, जिससे ट्रांजिट समय और लागत दोनों में वृद्धि होगी।
बांग्लादेश से भारत में आने वाले रेडीमेड वस्त्रों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा भूमि मार्ग से आता है, जिसमें से 76% पेट्रापोल सीमा चौकी के माध्यम से होता है। अब इन वस्त्रों को समुद्री मार्ग से भेजने की आवश्यकता होगी, जिससे ट्रांजिट समय बढ़ेगा और लागत भी अधिक होगी।
भारतीय खुदरा विक्रेताओं और वैश्विक ब्रांड्स के लिए बांग्लादेशी वस्त्रों की कीमतें प्रतिस्पर्धी और किफायती लगती हैं, ऐसे में उनके लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता खोजना आसान नहीं होगा। बांग्लादेशी कंपनियां चीन से शुल्क-मुक्त कपड़ा आयात करती हैं और भारत को निर्यात पर प्रोत्साहन प्राप्त करती हैं, जिससे उन्हें 10-15% मूल्य लाभ मिलता है।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है जब बांग्लादेश चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, जिससे भारत-बांग्लादेश संबंधों में कड़वाहट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल व्यापारिक लागत बढ़ेगी, बल्कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव भी गहराएगा।
भारत द्वारा बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों के भूमि मार्ग से आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। इससे न केवल लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि होगी, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे भारतीय खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को भी प्रभावित होने की संभावना है।