कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चार जून को यहां स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने और उसमें 11 लोगों की मौत के मामले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के विपणन प्रमुख निखिल सोसले को किसी प्रकार की अंतरिम राहत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एस.आर. कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने सोसले के वकील और राज्य सरकार दोनों की दलीलें सुनीं और अंतरिम आदेश कल सुनाने का फैसला किया।
सोसले की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस चौटा ने दलील दी कि प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए यह गिरफ्तारी की गई, विशेष रूप से तब जबकि जांच पहले ही अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सौंपी जा चुकी है।
चौटा ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 55 का उल्लेख करते हुए दलील दी, ‘‘वे कह रहे हैं कि एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते वे (सीसीबी) उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं। अगर यह अधिकार प्राप्त है भी तो भी गिरफ्तारी के समय यह लिखित में बताया जाना चाहिए था।’’
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आखिरकार सवाल स्वतंत्रता का है। भले ही अपराध में सात साल से अधिक सजा का प्रावधान है, लेकिन जब तक आपके पास मानने के प्रामाणिक कारण नहीं हों, आप किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकते।’’
अदालत ने मामले को सीआईडी को स्थानांतरित करने की अधिसूचना पर भी स्पष्टता मांगी और पूछा कि सीसीबी ने अचानक से जांच में हस्तक्षेप क्यों किया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि सीसीबी अचानक से आ गई। सारी जनता जानती है कि जांच सीआईडी को सौंप दी गई। उसके बाद सीसीबी सुबह-सुबह गिरफ्तार कर लेती है। इस बीच क्या हो गया?’’
चौटा ने गिरफ्तारी के आधार पर सवाल उठाया।
उन्होंने पूछा, ‘‘शामंत नामक एक फ्रीलांसर की पहली गिरफ्तारी अशोक नगर पुलिस ने तड़के तीन बजे की। सोसले को सीसीबी ने तड़के साढ़े तीन बजे गिरफ्तार किया।’’
उन्होंने यह दलील भी दी कि प्राथमिकी में सोसले और गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।