उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के नजरबंदी के अनुरोध को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया कि प्रथम दृष्टया उनकी मेडिकल रिपोर्ट को खारिज करने का कोई कारण नहीं है।
जस्टिस के एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि हाउस अरेस्ट ऑर्डर को 48 घंटे के भीतर लागू किया जाना चाहिए।
पीठ ने नवलखा को 2.4 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया। यह एक अनुमानित राशि है, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के खर्च के रूप में दावा करती है।
इसने यह भी कहा कि नवलखा को महीने भर की नजरबंदी के दौरान कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 70 वर्षीय कार्यकर्ता एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में जेल में बंद है।