बिहार में जहरीली शराब के सेवन से दो और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 28 हो गई है। सारण जिले के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि जहरीली शराब के सेवन से 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
सारण के जिलाधिकारी (डीएम) राजेश मीणा ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘जिले में संदिग्ध जहरीली शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 28 (बृहस्पतिवार रात तक) हो गई है।’’
जिलाधिकारी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने पिछले 48 घंटे में समूचे जिले में छापेमारी तेज कर दी है और जहरीली शराब बेचने वाले 126 लोगों को गिरफ्तार किया है। 4,000 लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त की गई है।’’
पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने यह बताने से इनकार कर दिया कि क्या गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में हालिया जहरीली शराब मामले में सीधे तौर पर जुड़े लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा‘‘मामले की अभी जांच हो रही है और इस स्तर पर बहुत कुछ खुलासा करने से जांच में बाधा आ सकती है’’।
जिलाधिकारी ने कहा था, ‘‘मामले में त्वरित जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और तीन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) की अगुवाई में 31 पुलिस अधिकारियों का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है।
इस बीच विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की कुल संख्या को छिपा रही है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बिहार में शराबबंदी के बावजूद पुलिस अधिकारियों और राज्य प्रशासन के संरक्षण में जहरीली शराब की बिक्री खूब फल-फूल रही है। लेकिन मुख्यमंत्री चुप हैं और वह आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।’’
सिन्हा ने कहा, ‘‘सारण की घटना राज्य सरकार द्वारा एक सामूहिक हत्या है और इसके लिए राज्य प्रशासन जिम्मेदार है। हमने (भाजपा विधायकों ने) बृहस्पतिवार को सारण में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, मरने वालों की संख्या जिला प्रशासन द्वारा दिए गए आंकड़े से बहुत अधिक है। हम शुक्रवार को फिर से इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।’’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को हिदायत दी थी कि अगर लोग जहरीली शराब का सेवन करेंगे तो वे मौत को गले लगाएंगे।
मुख्यमंत्री की तीखी टिप्पणी तब आई जब शराबबंदी की उनकी नीति पर राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने उनके पूर्व सहयोगी प्रशांत किशोर सहित कई लोगों ने उन्हें निशाना बनाया और शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग की।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बरसते हुए कहा कि शराबबंदी ‘‘मेरी व्यक्तिगत इच्छा नहीं बल्कि राज्य की महिलाओं के विलाप का जवाब है, और जो पिएगा वो मरेगा।’’
कुमार जब शराबबंदी लेकर आए तो कई महिला समूहों से इसकी प्रशंसा की थी, जिन्होंने महसूस किया कि यह उनके घर के पुरुषों को ‘‘शराब के अभिशाप से और घरों को आर्थिक बर्बादी से बचाएगी।’’
डीएम और एसपी ने लोगों से अपील की कि अगर उनके पास कोई भी जानकारी है तो वे बिना किसी डर के सामने आएं। अप्रैल, 2016 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।