हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून को मिली हरी झंडी के बाद से ही इस कानून को लेकर काफी बयानबाजी जारी है, जिसमें बिहार भी पीछे नही था। इसे लेकर नीतीश कुमार ने साफ कह दिया था कि कानून की जगह लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की जरूरत है। इस बयान के जरिए भले ही जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ नहीं दिया लेकिन अब बीजेपी ने जनगणना को लेकर नीतीश कुमार को झटका दे दिया है। केंद्र सरकार ने नीतिगत मामलों के रूप में जनगणना में एससी-एसटी के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं करने का फैसला किया है।
एबीपी की खबर के मुताबिक, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया था, लेकिन संसद के मानसून सत्र में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 2021 की जनगणना जाति आधारित नहीं होगी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
दरअसल, नित्यानंद राय का कहना है कि संविधान के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय विवरण एकत्रित करने का अनुरोध किया है। केंद्र सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में फैसला किया है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं होगी।’
बता दें कि बिहार विधानसभा से दो बार जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में मांग की गई थी कि साल 2021 में होने वाली जनगणना में जातीय आंकड़े दिए जाएं। सबसे पहले साल 2019 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया था और दूसरी बार बीते साल फरवरी में विधानसभा की तरफ से इस प्रस्ताव को पारित किया गया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि हर तबके का विकास हो, इसलिए आवश्यक है कि जातीय आंकड़े को जनगणना में लिया जाए। लालू यादव भी इसकी मांग करते आए हैं।