बिहार में दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में समस्तीपुर जिले की हसनपुर और रोसड़ा (सुरक्षित) में केवल सियासी जंग नही है बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान के परिवार के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बन गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव में हॉट सीट में शुमार हसनपुर का चुनाव कई मायनो में अहम है। कद्दावर नेता लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बड़े लाल तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की पारम्परिक वैशाली जिले के महुआ सीट की जगह इस बार हसनपुर से ताल ठोक रहे हैं। वर्ष 2015 में महुआ सीट से अपनी सियासी पारी का शानदार आगाज करने वाले तेज प्रताप का मुकाबला जदयू के निवर्तमान विधायक और सियासी पिच पर जीत की ‘हैट्रिक’ जमाने की कोशिश में लगे राजकुमार राय से होगा।
हसनपुर को यादव बाहुल्य इलाका माना जाता है। यहां जातीय समीकरण के आगे बाकी सभी समीकरण फेल हो जाते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो तेजप्रताप के लिए यहां से जीतना बहुत मुश्किल नहीं है, लेकिन पैराशूट उम्मीदवार होने की वजह से उन्हें लोगों से रोष का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 2015 में जदयू प्रत्याशी श्री राय ने बीएलएसपी उम्मीदवार विनोद चौधरी को 29600 मतों के अंतर से मात दी थी। हसनपुर में आठ प्रत्याशी चुनावी दंगल में है। भाजपा से बागी अर्जुन प्रसाद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी (जाप) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के मनीष कुमार सहनी भी चुनावी रणभूमि में जोर आजमाइश में लगे हैं। हसनपुर सीट से गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने सर्वाधिक आठ प्रतिनिधित्व किया है।
महाकवि आरसी प्रसाद सिंह ,उदयनाचार्य, पंडित सुरेंद्र झा सुमन जैसे दार्शनिकों और साहित्यकारों की धरती रोसड़ा (सुरक्षित) सीट से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के चचेरे भाई और समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज के बड़े भाई कृष्ण राज चुनावी दंगल में भाग्य आजमां रहे हैं, जिनका मुकाबला भाजपा के वीरेन्द्र पासवान और कांग्रेस के नागेन्द्र पासवान विकल से होगा। तीनों दलों के नेता पहली बार किस्मत आजमां रहे हैं। रोसड़ा का चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। इस चुनाव में जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी, वहीं चुनावी मैदान में तीसरे 'खिलाड़ी' (लोजपा) ने भी दस्तक दे दी। ‘मोदी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं’का राग अलापने वाली लोजपा ने यहां भाजपा के सामने ही प्रत्याशी उतार दिया है, जो चुनाव को नया मोड़ देता दिख रहा है। वर्ष 2015 में पूर्व केन्द्रीय मंत्री बालेश्वर राम के पुत्र कांग्रेस के डा. अशोक कुमार ने भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद राम सेवक हजारी की बहू मंजू हजारी को 34361 मतों के अंतर से परास्त किया था। इस बार श्री कुमार रोसड़ा सीट छोड़कर दरभंगा के कुशेश्वर स्थान सुरक्षित से किस्मत आजमां रहे हैं। कांग्रेस इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की जहां हरचंद कोशिश कर रही है वहीं कांग्रेस से यह सीट छीनने के लिए भाजपा और लोजपा आमादा दिख रही है। रोसड़ा सीट पर 12 उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में दम भर रहे हैं।