बिहार भी गजब है!, राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है। डबल इंजन वाली सुशासन की सरकार में भी राज्य की ना तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आई और ना हीं शिक्षा-स्वास्थ्य! अब जिस पर स्वास्थ्य का जिम्मा है वहीं, अपने कार्यालय और क्वाटर छोड़ शहर में रह रहे हैं और फोन से व्यवस्था को देख रहे हैं। आलम ये है कि प्रखंड मुख्यालय का हाउस रेंट भी सरकार से ले रहे हैं।
ये मामला मुजफ्फरपुर जिले से सामने आया है। जिले के 16 पीएचसी प्रभारियों में एक भी प्रखंड मुख्यालय में नहीं रहते हैं। वे पटना या मुजफ्फरपुर में रहते हैं और फोन से अस्पताल का संचालन करते हैं। यहां तक की अपने प्रखंड मुख्यालय का हाउस रेंट भी उठाते हैं। ये खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव ठप होने की शिकायत पर सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने औचक निरीक्षण किया।
सीएस चौधरी ने मामले के पकडे जाने के बाद कहा है कि ये गंभीर मामला है। टीम गठित कर जांच की जाएगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों से सभी कागजात मंगाए गए हैं।
सीएस ने सभी पीएचसी प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस भेज जवाब तलब किया है। साथ हीं मकान मालिक का रेंट एग्रीमेंट और मोबाइल नंबर समेत अन्य आवश्यक कागजात कार्यालय में जमा करने को कहा है। साथ हीं अगले आदेश तक जिले के सभी पीएचसी प्रभारियों के वेतन पर रोक लगा दी गई है।