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बिहार विधान परिषद चुनाव: 24 सीटों का आया परिणाम, 8 पर बीजेपी, 6 पर राजद तो चार पर जदयू ने मारी बाजी

बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के सभी 24 सीटों परिणाम 7 अप्रैल की देर शाम आधिकारिक...
बिहार विधान परिषद चुनाव: 24 सीटों का आया परिणाम, 8 पर बीजेपी, 6 पर राजद तो चार पर जदयू ने मारी बाजी

बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के सभी 24 सीटों परिणाम 7 अप्रैल की देर शाम आधिकारिक रूप से जारी हो गए। भाजपा-जदयू गठबंधन ने फिर बाजी मारते हुए 24 में से 13 सीटों पर कब्जा जमाने में सफल रहा। भाजपा 8 सीटों पर सबसे अधिक वोटें लायीं जबकि राजद को 06 और जद-यू को 04 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में कुल 187 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी। आरजेडी ने 6 कांग्रेस ने 01 और निर्दलीयों ने 04 सीटों पर पताका लहाराया। चुनाव में 1.32 हजार वोटरों ने मताधिकार का प्रयोग किया।

इस चुनाव को प्रेक्षकों ने 2024-25 के चुनाव के सेमी फाईनल के रूप में देखा है। खासकर तेजस्वी प्रसाद यादव के हाथों में राजद के नयई बागडोर आने के बाद सामाजिक-राजनीतिक प्रयोग बढ़ते नजर आ रहे हैं। इस प्रयोग में उन्होंने सवर्णों के सबसे महत्वाकांक्षी जाति भूमिहार-यादव का नया गठजोड़़ कर भावी राजनीति-चुनाव के संकेत उस समय दिए जब उन्होंने 24 में से 10 सीटें भूमिहार को देकर एक नया राजनीतिक ताना-बाना बुनने की कोशिश की है।कांग्रेस से गठबंधन नहीं कर 23 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतार कर कांग्रेस को यह संकेत देना चाहा कि या तो उन्हें राजद के अनुसार चलना होगा अथवा वे नया ठिकाना खोज ले। ऐसा शायद इसलिए भी कि माना जा रहा है कि कांग्रेस का जनाधारा खिसक कर जीत के करीब भी नहीं पहुंच सका है। हालांकि कां्रगेस को पूर्वी चम्पारण से महेश्वर सिंह ने स्थानीय स्तर पर वीआईपी और अन्य पार्टियों से तालमेल कर पार्टी की इज्जत बचा ली।

अर्थात करीब 40 प्रतिशत सीटें उन्होंने भूमिहारों को दे दी। यही नहीं जेल में बाहुबली अनंत सिंह ने जब अपने करीबी कार्तिकेय को मैदान में उतारने का ऐलान किया तो लालू-राबड़ी परिवार के करीबी बाहुबली रीतलाल को तेजस्वी ने दौड़ से बाहर रहने का निर्देश दिया।

सूत्र बताते हैं कि रीतलाल ने अपने भाई के लिए जेल में ही पूरी तैयारी कर ली थी। पर, अनंत की गर्जना औरलालू और तेजस्वी से पक्की जीत के दावा के बाद उनके भाई को मैदान छोड़ना पड़ा। हालांकि सूत्र बताते हैं कि रीतलाल और अनंत के बीच जेल में ही पैक्ट हो गया था। जानकारी मिली कि लालू के सिपाहसलारों ने रीतलाल को भविष्य की राजनीति बताते हुए मनाने में सफल रहा कि यह सीट अनंत सिंह के लिए छोड़ दी जाए। हुआ भी ऐसा ही। कभी मास्टर रहे कार्तिकेय अनंत के करीबी रहे  राजद से हाॅट सीट पटना से चुनाव जीत गए। 1990 के बाद बिहार के संसदीय राजनीति में यह पहला मौका है जब राजद ने सवर्णों में खासकर भूमिहारों को 40 प्रतिशत सीटें दे दी।

इसमें सर्वाधिक दिलचस्प यह है कि भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल अपने गृह जिला में भाजपा की किलेबन्दी करने में असफल रहे। और, वहां से राजद प्रत्यार्शी इं सौरभ कुमार राजद से सीट को झटक लिए। यही नहीं जद-यू के प्रदेश अध्यक्ष के गृह जिला वैशाली से रामविलास लोकजनशक्ति से भूषण कुमार सीट झटकने में सफल रहे। इस संबंध में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश कुमार भट्ट कहते हैं कि हाल ही में पार्टी में अकाल्पनिक टूट के बाद उनकी पार्टी पूरे दमखम और नये तेवर से आगामी चुनाव में उतारना चाहती है। सांसद चिराग पासवान के निर्णय को स्वीकार करते हुए पार्टी ने अपना प्रत्याशाी नहीं उतारने का फैसला किया।

बहारहाल, इस चुनाव में कांग्रेस समर्थित महज एक प्रत्याशी का जीतना इस बात का संकेत देने लगी है कि क्या सचमुच कांग्रेस हाल के चार राज्यों में हुई करारी शिकस्त के बाद सदमे में है अथवा कभी ग्रामीण स्तर फैले उसके सेवा दल के सदस्य मृतप्राय हो चुके हैं। दूसरी ओर सूत्र बताते हैं कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने न केवल भाजपा बल्कि जद-यू के पक्ष में भी मजबूत अन्डरग्राउन्ड वायरिंग की थी।

इस संबंध में राजद के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी कहते हैं कि पहले ऊपरी सदन में संख्या चार थी और अब ब़ढ़ कर 06 हो गई। जाहिर है वोट प्रतिशत भी बढ़ा और संख्या भी। वे आगे कहते हैं कि आधुनिक राजनीति में प्रयोग नित्य होते रहते हैं। खास कर, गहरी जाति फीलिंग वाला राज्य बिहार में कई उपजातियां भी हैं। ऐसे में कास्ट इक्वेशन और एलायंस से तो इन्कार किया ही नहीं जा सकता।

लोजपा के मुख्य प्रवक्ता राजेश मानते हैं कि इस चुनाव में धनबल और बाहुबल का प्रयोग जरूर हुआ है। वे आगे कहते हैं कि यह वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक जीवन का एक मजबूत हिस्सा बन गया है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। बिना नाम बताये सिवान चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि खान ब्रदर्स में प्रत्याशी रईस खान पर अंधाध्ंाुध एक-47 से गालियां चलना इस बात को तस्दीक देता है। हां, यह अनुसंधान का विषय जरूर है कि गोलियां किसने चलायीं।

मुजफ्पफरपुर से दिनेश प्रसाद सिंह लगातार चैथी बार चुनाव जीत कर अपना दबदबा कायम रखा। उन्हें 5174 वोट मिले। वे पहले ऐसे प्रत्याशी है जिन्हें लगातार चैथी बार चुनाव का सेहरा सिर पर लगा। उनकी पत्नी वीणा देवी वैशाली से संांसद हैं। चैकाने वाली बात यह है कि उन्हें प्रथम वरीयता के ही 5174 वोट मिले, इसलिए द्वितीय वरीयता की मतगणना की जरूरत भी नहीं पड़ी।

यहां सारण की चर्चा आवश्यक जान पड़ता है क्योंकि अंतिम समय में सच्चिादानन्द राय को भाजपा ने टिकट से बेदखल कर दिया था। उन्होंने बागी के रूप में नामांकन यह कहते हुए किया पार्टी को पहले से ही उन्हें इतिला कर देने चाहिए था कि उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। प्रतिक्रिया में उन्होंने पार्टी को भला-बुरा भी कहा था। पर, सूत्र बताते हैं कि चुनाव जीतते सबसे पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाक्टर सीपी ठाकुर ने उन्हें बधाई दी और पार्टी में ही रहने की सलाह यह कहते दी कि पार्टी ने उनकी शक्ति को स्वीकार कर लिया है। अब, राय पर है कि वे भाजपा का दामन फिर से थामते हैं अथवा या राजद के नये इक्वेशन में जाते हैं। हालांकि सूत्र बताते हैं कि राजद के मृत्युंजय तिवारी ने उनसे सम्पर्क कर पार्टी में पूरे सममान के रखने की बात कही है। अब, राजद-भूतिहार के नये तेजस्वी फार्मूला में वे कहां तक सहज रहेंगे, भविष्य की बात है।

इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा से जब इस संवाददाता ने पूछा कि गहरी जातिय राजनति वाला बिहार में कांग्रेस ने एक भी बाह्राण को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने तपाक से कहा- कांग्रेस जात की नहीं जमात की राजनीति करती है।

बहारहाल, जीते प्रत्याशियों की सूची इस प्रकार है-

नालंदा-जदयू से रीना राय, गोपालगंज भाजपा से राजीव सिंह, मुजफ्पफपुर जद-यू, दिनेश सिंह, मोतिहारी स्वतंत्र महेश्वर सिंह,वैशाली से रालोजपा भूणण कुमार,भागलपुर-जदयू विजय सिंह, औरंगाबाद, भाजपा दिलीप कुमार, भोजपुर से राजद राध चरण सेठ, सारण-निर्दल सच्चिदान्नद राय,पटना से राजद कार्तिकेय कुमार, सिवान से राजद-विनोद जायसवाल, नवादा अशोक यादव निर्दल,समस्तीपुर, तरूण कुमार भाजपा,मुगेर राजद अजय कुमार सिंह, गया राजद रिंकू यादव, रोहतास संतोष कुमार भाजपा, दरभंगा सुनील कुमार चैधरी भाजपा, सीतामढ़ी रेख देवी जदयू, पश्चिम चम्पारण सौरभ कमार राजद,बेगूसराय कांगेस राजीव कुमार, सहरसा मधेपुरा अजय कुमार सिंह राजद,मधुबनीअंबिका यादव निर्दल और कटिहार अशोक अग्रवाल भाजपा शामिल हैं।

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